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________________ १०७६ सुत्तागमे [नंदीसुत्तं परूवणा आघविजइ । ठाणे णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ निजुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, संखेजाओ पडिवत्तीओ । से णं अंगठ्ठयाए तइए अंगे, एगे सुयक्खंधे, दस अज्झयणा, एगवीसं उद्देसणकाला, एकवीसं समुद्देसणकाला, बावत्तरि पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविजंति, पन्नविनंति, परूविज्जति, दसिज्जंति, निदंसिजंति, उवदंसिज्जति । से एवं आया, एवं नाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ । सेत्तं ठाणे ३ ॥ ४८ ॥ से किं तं समवाए ? समवाए णं जीवा समासिजंति, अजीवा समासिज्जंति, जीवाजीवा समासिज्जंति, ससमए समासिज्जइ, परसमए समासिज्जइ, ससमयपरसमए समासिज्जइ, लोए समासिज्जइ, अलोए समासिज्जइ, लोयालोए समासिज्जइ । समवाए णं एगाइयाणं एगुत्तरियाणं ठाणसयविवड्डियाणं भावाणं परूवणा आघविज्जइ, दुवालसविहस्स य गणिपिडगस्स पल्लव[]गे समासिजइ । समवायस्स णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखिज्जा वेढा, संखिज्जा सिलोगा, संखिजाओ निजुत्तीओ, संखिज्जाओ संगहणीओ, संखिज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगठ्ठयाए चउत्थे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे अज्झयणे, एगे उद्देसणकाले, एगे समुद्देसणकाले, एगे चोयाले सयसहस्से पयग्गेणं, संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविजंति, पन्नविनंति, परूविजंति, दंसिजति, निदंसिजंति, उवदंसिजति । से एवं आया, एवं नाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ । सेत्तं समवाए ४ ॥ ४९ ॥ से किं तं विवाहे ? विवाहे णं जीवा वियाहिजंति, अजीवा वियाहिजंति, जीवाजीवा वियाहिज्जंति, ससमए वियाहिजइ, परसमए वियाहिजइ, ससमयपरसमए वियाहिजइ, लोए वियाहिजइ, अलोए वियाहिजइ, लोयालोए वियाहिज्जइ, विवाहस्स णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखिज्जा वेढा, संखिज्जा सिलोगा, संखिजाओ निजुत्तीओ, संखिज्जाओ संगहणीओ, संखिज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगठ्याए पंचमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे साइरेगे अज्झयणसए, दस उद्देसगसहस्साई, दस समुद्देसगसहस्साई, छत्तीसं वागरणसहस्साइं, दो लक्खा अट्ठासीइं पयसहस्साई पयग्गेणं, संखिज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जति, पन्नविनंति, परूविजंति, दंसिजंति, निदंसिज्जति, उवदंसिज्जंति, से एवं आया, एवं नाया, एवं
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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