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________________ सुत्तागमे [ नंदीसुतं किं तं अंतगडदसाओ ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराई, उज्जाणाई, समोसर - गाईं, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा, भोगपरिच्चागा, पव्वज्जाओ, परियागा, सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाई, संलेहगाओ, भत्तपच्चक्खाणाई, पाओवगमणाई, अंतकिरियाओ आघविज्जंति, अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेजाओ निजुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगया अमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला, अट्ठ समुद्देसणकाला, संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अनंता गमा, अनंता पजवा, परित्ता तसा, अनंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविजंति, पन्नविजंति, परूविज्जंति, दंसिजंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति, से एवं आया, एवं नाया, एवं विष्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ, सेत्तं अंतगडदसाओ ८ ॥ ५३ ॥ से किं तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ? अणुत्तरोववाइयदसासु णं अणुत्तरोववाइयाणं नगराई, उज्जाणाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा, भोगपरिच्चागा, पव्वज्जाओ, परियागा, सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाई, पडिमाओ, उवसग्गा, संलेहणाओ, भत्तप=चक्खाणाईं, पाओवगमणाई, अणुत्तरोववाइयत्ति उववत्ती, सुकुल पच्चायाईओ, बोहिलाभा, अंत किरियाओ आघविज्जंति, अणुत्तरोववाइयदसामु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्टयाए नवमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, तिन्नि वग्गा, तिन्नि उद्देसणकाला, तिन्नि समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसहस्साईं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अनंता पज्जवा, परित्ता तसा, अता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पन्नविज्जंति,. परूविज्जंति, दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिजंति, से एवं आया, एवं नाया, एवं विष्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जर, सेप्तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ९॥ ५४ ॥ से किं तं पण्हावागरणाई ? पण्हावागरणेसु णं अद्भुत्तरं पसिणसयं, अट्टुत्तरं अपसिणसयं, अह्रुत्तरं पसिणापसिणसयं, तंजहा - अंगुद्वपसिणाई, बाहुपसिणाईं, अद्दागपसिणाई, अन्नेवि विचित्ता विज्जाइसया, नागसुवण्णेहिं सद्धि दिव्वा संवाया आघविज्जंति, पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा, , संखेज्जा अणुओगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ निज्जुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगठ्याए दसमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, पणयालीसं पुण १०७८
SR No.010591
Book TitleSuttagame 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year1954
Total Pages1300
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, agam_pragyapana, agam_suryapragnapti, agam_chandrapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, & agam_ni
File Size93 MB
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