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________________ सुत्तागमे [ठाणे २०० माइ वा, संवाहाइ वा, संनिवेसाइ वा, घोसाइ वा, आरामाइ वा, उज्जाणाइ वा, वणाइ वा, वणखंडाइ वा, वावीइ वा, पुक्खरणीइ वा, सराइ वा, सरपंतीइ वा, अगडाइ वा, तडागाई वा, दहाइ वा, णदीइ वा, पुढवीइ वा, उदहीइ वा, वातखंधाइ वा, उवासंतराइ वा, वलयाइ वा, विग्गहाइ वा, दीवाइ वा, समुद्दाइ वा, वेलाइ वा, वेइयाइ वा, दाराइ वा, तोरणाइ वा, णेरइयाइ वा, रइयावासाइ वा, जाव वेमाणियावासाइ वा, कप्पाइ वा, कप्पविमाणवासाइ वा, वासाइ वा, वासहरपव्वयाइ वा, कूडाइ वा, कूडागाराइ वा, विजयाइ वा, रायहाणीइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ ॥ १४३ ॥ छायाइ वा, आतवाइ वा, जोसिणाइ वा, अंधगाराइ वा, ओमाणाइ वा, पमाणाइ वा, उम्माणाइ वा, अतिताणगिहाइ वा, उजाणगिहाइ वा, अवलिम्बाइ वा, सणिप्पवायाइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ ॥ १४४ ॥ दोरासी प० तं० जीवरासी चेव, अजीवरासी चेव, दुविहे बंधे प० तं० पेजबंधे चेव, दोसवंधे चेव, जीवाणं दोहिं ठाणेहिं पावकम्मं बंधन्ति तं० रागेण चेव, दोसेण चेव, जीवाणं दोहिं ठाणेहिं पावकम्मं उदीरेन्ति तं० अब्भोवगमियाए चेव वेयणाए उवक्कमियाए चेव वेयणाए एवं वेदेति एवं णिज्जरेंति अब्भोवगमियाए चेव वेयणाए उवकमियाए चेव वेयणाए, दोहि ठाणेहिं आया सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाति तं० देसेणवि आया सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाति सव्वेणवि आया सरीरं फुसित्ताणं णिजाति, एवं फुरित्ताणं एवं फुडित्ताणं एवं संवट्टित्तागं निव्वट्टि त्ताणं, दोहिं ठाणेहिं आया केवलिपन्नत्तं धम्म लभेज्जा सवणयाए तंजहा-खएण चेव उवसमेण चेव, एवं जाव मणपज्जवणाणं उप्पाडेजा तं० खएण चेव उवसमेण चेव ॥ १४५ ॥ दुविहे अद्धोवमिए प० तं० पलिओवमे चेव सागरोवमे चेव । से किं तं पलिओवमे ? पलिओवमे जंजोयणविच्छिन्नं पल्लं एगाहियप्परूढाणं होज णिरतरणिचियं भरियं वालग्गकोडीणं १ वाससए वाससए एक्कक्के, अवहडंमि जो कालो; सो कालो बोद्धव्वो, उवमा एगस्स पल्लस्स २ एतेसि पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया; तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ३-॥ १४६ ॥ दुविह कोहे प० तं० आयपइट्ठिए चेव, परपइढ़िए चेव, एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाण, एवं जाव मिच्छादसणसल्ले ॥ १४७ ॥ दुविहा संसारसमावन्नगा जीवा प० त० तसा चेव, थावरा चेव, दुविहा सव्वजीवा प० तं० सिद्धा चेव असिद्धा चेव । दुविहा सव्वजीवा प० त० सइंदिया चेव, अणिदिया चेव, एवं एसा गाहा फासेयव्वा जाव ससरीरी चेव असरीरी चेव; सिद्धसइंदियकाए, जोगे वेए कसायलेसा य, णाणुवओगाहारे भासगचरिमे य ससरीरी (१) ॥ १४८ ॥ दोमरणाई समणेणं
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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