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________________ सुत्तागमे म० २ उ० ४] १९९ काले चेव, दोभूयइंदा प० तं० सुरूवे चेव पडिरूवे चेव, दोजक्खिदा प० तं० पुण्णभद्दे चेव माणिभद्दे चेव, दोरक्खसिंदा प० तं० भीमे चेव महाभीमे चेव, दोकिनरिंदा प० तं० किन्नरे चेव किंपुरिसे चेव, दोकिंपुरिसिंदा प० तं० सप्पुरिसे चेव महापुरिसे चेव, दोमहोरगिंदा प० तं० अइकाये चेव महाकाये चेव, दोगंधव्विदा प० तं० गीयरई चेव गीयजसे चेव, दोअणपण्णिदा प० तं० संनिहिए चेव, सामण्णे चेव, दोपणपनिंदा प० तं० धाए चेव विहाए चेव, दोइसिवाइंदा प० तं० इसि चेव इसिवालए चेव, दोभूयवाइंदा प० तं० ईसरे चेव महिस्सरे चेव, दोकंदिंदा प० तं० सुवच्छे चेव विसाले चेव, दोमहाकदिंदा प० तं० हासे चेव हासरई चेव, दोकुभंडिंदा प० तं० सेए चेव महासेए चेव,दोपयगिंदा प० तं० पयए चेव पयगवई चेव, जोइसियाणं देवाणं दोइंदा प० तं० चंदे चेव सूरे चेव, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु दोइंदा प० तं० सक्ने चेव ईसाणे चेव, एवं सणंकुमारमहिंदेसु कप्पेसु दोइंदा प० तं० सणंकुमारे चेव माहिंदे चेव, बंभलोयलंतगेसु णं दोइंदा प० तं० वंभे चेव लंतए चेव, महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु दोइंदा पन्नत्ता तंजहा-महासुक्के चेव सहस्सारे चेव, आणयपाणयारणञ्चुएसु णं कप्पेसु दोइंदा पतं० पाणए चेव, अचुए चेव ॥ १४० ॥ महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा दुवण्णा प० तं० हालिहा चेव सुकिला चेव, गेविजगाणं देवाणं दोरयणीओ उर्दू उच्चत्तेणं पन्नत्ता ॥१४१॥ वीयठाणस्स तइओदेसो समत्तो।। समयाइ वा आवलियाइ वा, जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ, आणापाणूइ वा, थोवाइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ, खणाइ वा लवाइ वा जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ, एवं मुहुत्ताइ वा, अहोरत्ताइ वा, पक्खाइ वा, मासाइ वा, उऊइ वा, अयणाइ वा, संवच्छराइ वा, जुगाइ वा, वाससयाइ वा, वाससहस्साइ वा, वाससयसहस्साइ वा, वासकोडीइ वा, पुव्वंगाइ वा, पुवाइ वा, तुडियंगाइ वा तुर्डियाइ वा अडडंगाइ वा, अडडाइ वा, अववंगाइ वा, अववाइ वा हुहूअंगाइ वा, हूहूयाइ वा, उप्पलंगाइ वा, उप्पलाइ वा, पउमंगाइ वा, पउमाइ वा, णलिणंगाइ वा, णलिणाइ वा, अच्छणिउरंगाइ वा, अच्छणिउराइ वा, अउअंगाइ वा अउआइवा, णउअंगाइ वा, णउआइ वा पउअंगाइ वा, पउयाइ वा, चूलिअंगाइ वा चूलियाइ वा, सीसप्पहेलिअंगाइ वा, सीसप्पहेलियाइ वा, पलिओवमाइ वा, सागरोवमाइ वा उस्सप्पिणीइ वा, ओसप्पिणीइ वा, जीवाइ वा अजीवाइ वा पवुच्चइ ॥ १४२ ॥ गामाइ वा, णगराइ वा, निगमाइ वा, रायहाणीइ वा, खेडाइ वा, कव्वडाइ वा, मडवाइ वा, दोणमुहाइ वा, पट्टणाइ वा, आगराइ वा, आस
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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