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________________ .सु. ० १३) सुत्तागमे १२९ १॥ ५५५ ॥ सद्देसु रुवेसु असज्जमाणे गन्धेसु रसेसु अदुस्समाणे । नो जीवियं नो मरणाहिकखी आयाणगुत्ते वलया विमुक्के ॥ २२ ॥ ५५६ ॥ त्ति बेमि । समोसरणज्झयणं बारहम। । आहत्तहीयज्झयणे तेरहमे • आहत्तहीयं तु पवेयइस्सं नाणप्पकारं पुरिसस्स जायं । सओ य धम्म असओ असीलं सन्ति असन्ति करिस्सामि पाउं ॥ १ ॥ ५५७ ॥ अहो य राओ य समुट्ठिएहिं तहागएहिं पडिलम धम्मं । समाहिमाघायमजोसयन्ता सत्थारमेवं फरुसं वयन्ति ॥ २ ॥ ५५८ ॥ विसोहियं ते अणुकाहयन्ते जे आयभावेण वियागरेजा ।, अट्टाणिए होइ बहुगुणाणं जे नाणसंकाइ मुसं वएज्जा ॥ ३ ॥ ५५९ ॥ जे यावि पुट्टा पलिउच्चयन्ति आयाणमटुं खलु बच्चइत्ता । असाहुणो ते इह साहुमाणी मायणि एस्सन्ति अणन्तघायं ॥ ४ ॥ ५६० ॥ जे कोहणे होइ जयभासी विओसियं जे उ उदीरएजा । अन्धे व से दण्डपहं गहाय अविओसिए धासइ पावकम्मी ॥५॥ ५६१ ॥ जे विग्गहीए अन्नायभासी न से समे होइ अझञ्झपत्ते । ओवायकारी य हिरीमणे य एगन्तदिट्ठी य अमाइरूवे ॥ ६ ॥ ५६२ ॥ से पेसले सुहुमे पुरिसजाए जच्चन्निए चेव सुउज्जुयारे । बहुं पि अणुसासिएँ जे तहच्चा समे हु से होइ अझञ्झपत्ते ॥ ७ ॥ ५६३ ॥ जे' यावि अप्पं वसुमं ति मत्ता संखाय वायं अपरिक्ख कुज्जा । तवेण वाहं सहिउ त्ति मत्ता अन्नं जणं पस्सइ विम्बभूयं ॥ ८ ॥ ५६४ ॥ एगन्तकूडेण उ से पलेइ न विजई मोणपयंसि गोत्ते । जे माणणटेण विउकसेज्जा वसुमन्नतरेण अवुज्झमाणे ॥ ९ ॥ ५६५ ॥ जे माहणे खत्तियजायए वा तहुग्गपुत्ते तह लेच्छई वा । जे पवईए परदत्तभोई गोत्ते न जे थब्भइ माणबद्धे ॥ १० ॥५६६ ॥ न तस्स जाई व कुलं व ताणं नन्नत्थ विजाचरणं सुचिणं । निक्खम्म से सेवइऽगारिकम्मं न से पारए होइ विमोयणाए ॥ ११ ॥ ५६७ ॥ निकिंचणे भिक्खु सुलूहजीवी जे गारवं होइ सिलोगकामी । आजीवमेयं तु अवुज्झमाणो पुणो पुणो विप्परियासुवेन्ति ॥ १२ ॥ ५६८ ॥ जे भासवं भिक्खु सुसाहुवाई पडिहाणवं होइ विसारए य । आगाढपन्ने सुविभावियप्पा अन्नं जणं पन्नया परिहवेजा ॥ १३ ॥ ५६९ ॥ एवं-न से होइ समाहिपत्ते जे पन्नवं भिक्खु विउकसेज्जा । अहवा वि जे लाहमयावलित्ते अन्नं जणं खिंसइ वालपने ॥ १४ ॥ ५७० ॥-पन्नामयं चेव तवोमयं च निन्नामए गोयमयं च भिक्ख । ९ सुत्ता
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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