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________________ सु० अ० १२] सुत्तागमे १२७ आघाइ साहु तं दीवं पइटेसा पवुचई ॥ २३ ॥ ५१९ ॥ आयगुत्ते सया दन्ते छिन्नसोए अणासवे । जे धम्मं सुद्धमक्खाइ पडिपुण्णमणोलिसं ॥ २४ ॥ ५२० ॥ तमेव अवियाणन्ता अवुद्धा वुद्धमाणिणो । वुद्धा मो त्ति य मन्नन्ता अन्त एए समाहिए ॥ २५ ॥ ५२१ ॥ ते य बीयोदगं चेव तमुहिस्सा य ज कडं । भोच्चा झाणं झियायन्ति अखंयन्नासमाहिया ॥ २६ ॥ ५२२ ॥ जहा ढंका य कंका य कुलला मग्गुका सिही। मच्छेसणं झियायन्ति आणं ते कलुसाध ॥ २७ ॥ ५२३ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्टी अणारिया। विसएसणं झियायन्ति कंका वा कटुसाहमा ॥ २८ ॥ ५२४ ॥ सुद्धं मग्गं विराहित्ता इहमेगे उ दुम्मई। उम्मग्गगया दुक्खं घायमेसन्ति तं तहा ॥ २९ ॥५२५ ॥ जहा आसाविणिं नावं जाइअन्धो दुरूहिया। इच्छई पारमागन्तुं अन्तरा य विसीयइ ॥ ३० ॥ ५२६ ॥ एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्टी अणारिया। सोयं कसिणमावन्ना आगन्तारो महन्भयं ॥ ३१॥ ५२७ ॥ इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं । तरे सोयं महाघोरं अत्तत्ताए परिव्वए ॥ ३२ ॥ ५.२८॥ विरए गामधम्मेहिं जे केइ जगई जगा। तेर्सि अत्तुवमायाए थाम कुव्वं परिव्वए ॥ ३३ ॥ ५२९ ॥ अइमाणं च मायं च तं परिन्नाय पण्डिए। सव्वमेयं निराकिच्चा निव्वाणं संधए मुणी ॥ ३४ ॥ ५३० ॥ संधए साहुधम्म च पावधम्मं निराकरे। उवहाणवीरिए भिक्खू कोहं माणं न पत्थए ॥ ३५॥५३१॥ जे य वुद्धा अतिक्कन्ता जे य बुद्धा अणागया। सन्ति तेर्सि पइट्ठाणं भूयाणं जगई जहा ॥ ३६ ॥ ५३२ ॥ अह णं वयमावन्नं फ़ासा उच्चावया फुसे । न तेसु विणिहण्णेज्जा वाएण व महागिरी ॥ ३७ ॥ ५३३ ॥ संवुडे से महापन्ने धीरे दत्तेसणं चरे । निव्वुडे कालमाकंखी एवं केवलिणो मयं ॥ ३८ ॥ ५३४ ॥ ति बाम ॥ मग्गज्झयणं एयारहमं ॥ समोसरणज्झयणे बारहमे चत्तारि समोसरणाणिमाणि पावादुया जाइँ पुढो वयन्ति । किरियं अकिरियं विणयं ति तइयं अन्नाणमाहंसु चउत्थमेव ॥ १ ॥ ५३५ ॥ अन्नाणिया ता कुसला वि सन्ता असंथुया नो वितिगिच्छतिण्णा । अकोविया आहु अकोवियहिं अणाणुवीइत्तु मुसं वयन्ति ॥२॥ ५३६ ॥ सच्चं असच्चं इति चिन्तयन्ता असाहु साह त्ति उदाहरन्ता । जेमे जणा वेणइया अणेगे पुट्ठा वि भावं विणइंसु नाम ॥३॥ ॥ ५३७ ॥ अगोवसंखा इइ ते उदाहु अढे स ओभासइ अम्ह एवं । लवावसंकी
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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