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________________ १ सु० अ० ८ ] सुत्तागमे सिद्धि हवेज तम्हा अगणि फुसन्ताण कुकम्मिणं पि ॥ १८ ॥ ३९८ ॥ अपरिक्ख दिहं न हु एव सिद्धी एहिन्ति ते घायमवुज्झमाणा । भूएहि जाणं पडिलेह सायं विज्जं गहायं तस्थावरेहिं ॥ १९ ॥ ३९९ ॥ थणन्ति लुप्पन्ति तसन्ति कम्मी पुढो जगा परिसंखाय भिक्खु । तम्हा विऊ विरओ आयगुत्ते दठ्ठे तसे या पडिसंह रेज्जा ॥ २० ॥ ४०० ॥ जे धम्मलद्धं विणिहाय भुजे वियडेण साहहु य जे सिणाई । जे धोवई सयई व वत्थं अहाहु ते नागणियस्स दूरे ॥ २१ ॥ ४०१ ॥ कम्मं परिन्नाय दगंसि धीरे वियडेण जीवेज य आदिमोक्खं । से वीयकन्दाइ अभुजमाणे विरए सिणाणाइसु इत्थियासु ॥ २२ ॥ ४०२ ॥ जे मायरं च पियरं च हिचा गारं तहा पुत्तपसुं धणं च । कुलाई जे धावइ साउगाई अहाहु से सामणियस्स दूरे ॥ २३ ॥ ॥ ४०३ ॥ कुलाई जे धावइ साउगाईं आघाइ धम्मं उयराणुगिद्धे । अहाहु से आयरियाण सयंसे जे लावएजा असणस्स हेऊ ॥ २४ ॥ ४०४ ॥ निक्खम्म दीणे पर भोयणम्मि मुहमङ्गलीए उयराणुगिद्धे । नीवार गिद्धे व महावरा हे अदूरए एहि घायमेव ॥ २५ ॥ ४०५ ।। अन्नस्स पाणस्सिहलोइयस्स अणुप्पियं भासइ सेवमाणे । पासत्थयं चेव कुसीलयं च निस्सारए होइ जहा पुलाए ॥ २६ ॥ ४०६ ॥ अन्नायपिण्डेण हियासएजा नो पूयणं तवसा आवहेजा । सद्देहि रूवेहि असज्जमाणं सव्वेहि कामेहि विणीय गेहिं ॥ २७ ॥ ४०७ ॥ सव्वाइँ संगाई अइच धीरे सव्वाई दुक्खाईं तितिक्खमाणे | अखिले अगिद्धे अणिएयचारी अभयंकरे भिक्खु अणाविलप्पा ॥ २८ ॥ ४०८ ॥ भारस्स जाओ मुणि भुञ्जएज्जा कंखेज्ज पावस्स विवेग भिक्खू । दुक्खेण पुट्ठे धुयमाइएजा संगामसीसे व परं दमेज्जा ॥ २९ ॥ ४०९ ॥ अवि हम्ममाणे फलगावतट्ठी समागमं कखइ अन्तगस्स । निधूय कम्मं न पवचुवेइ अक्खक्खए वा सगडं ति बेमि ॥ ३० ॥ ४१० ॥ कुसीलपरिभासियज्झयणं सत्तमं ॥ १२१ वीरियज्झयणे अट्टमे दुहा वेयं सुयक्खायं वीरियं ति पवुचई । किं नु वीरस्स वीरत्तं कहं चेयं पवचई ॥ १ ॥ ४११ ॥ कम्ममेगे पवेदेन्ति अक्रम्मं वा वि सुव्वया । एएहिं दोहि ठाणेहिं जेहिं दीसन्ति मच्चिया ॥ २ ॥ ४१२ ॥ पमायं कम्ममाहंसु अप्पमायं तहावरं । तन्भावादेसओ वा वि बालं पण्डियमेव वा ॥ ३ ॥ ४१३ ॥ सत्थमेगे तु सिक्खन्ता अश्वायाय पाणिणं । एगे मन्ते अहिजन्ति पाणभूयविहेडिगो ॥ ४ ॥ ४१४ ॥ मायिणो कट्टु माया य कामभोगे समारभे । हन्ता छेत्ता पगब्भित्ता आयसायाणु
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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