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________________ १ सु० भ० ६] सुत्तागमे ॥ १२ ॥ ३६३ ॥ महीइ मज्झम्मि ठिए नगिन्दे पन्नायए सूरियसुद्धलेसे । एवं सिरीए उ स भूरिवण्णे मणोरमे जोयइ अचिमाली ॥ १३ ॥ ३६४ ॥ सुदंसणस्सेव जसो गिरिस्स पवुच्चई महओ पव्वयस्स । एओवमे समणे नायपुत्ते जाईजसोदसणनाणसीले ॥१४॥ ३६५ ॥ गिरीवरे वा निसहाययागं रुयए व सेढे वलयाययाणं । तओवमे से जगभूइपन्ने मुणीण मज्झे तमुदाहु पन्ने ॥ १५ ॥ ३६६ ॥ अणुत्तरं धम्ममुईरइत्ता अणुत्तरं झाणवरं झियाइ । सुसुक्कसुकं अपगण्डसुक्कं संखिन्दुएगन्तवदायसुकं ॥ १६ ॥ ३६७ ॥ अणुत्तरग्गं परमं महेसी असेसकम्मं स विसोहइत्ता। सिद्धिं गए साइमणन्तपत्ते नाणेण सीलेण य दंसणेण ॥ १७ ॥ ३६८ ॥ रुक्खेसु णाए जह सामली वा जस्सि रइं वेययई सुवण्णा । वणेसु वा नन्दणमाहु सेलु नाणेण सीलेण य भूइपन्ने ॥ १८ ॥ ३६९ ॥ थणियं व सद्दाण अणुत्तरे उ चन्दो व ताराण महाणुभावे । गन्धेसु वा चन्दणमाहु सेढं एवं मुणीगं अपडिन्नमाहु ॥१९॥३७॥ जहा सयंभू उदहीण सेढे नागेसु वा धरणिन्दमाहु सेहूँ । खोओदए वा रस वेजयन्ते तवोवहाणे मुणि वेजयन्ते ॥२०॥३७१॥ हत्थीसु एरावणमाहु नाए सीहो मिगाणं सलिलाण गङ्गा । पक्खीसु वा गरुळे वेणुदेवो निव्वाणवादीणिह नायपुत्ते ॥ २१ ॥ ॥ ३७२ ॥ जोहेसु नाए जह वीससेणे पुप्फेसु वा जह अरविन्दमाहु । खत्तीण सेढे जह दन्तवक्के इसीण सेढे तह वद्धमाणे ॥ २२ ॥ ३७३ ॥ दाणाण सेढे अभयप्पयाणं सच्चेसु वा अणवजं वयन्ति । तवेसु वा उत्तमं बम्भचेरं लोगुत्तमे समणे नायपुत्ते ॥ २३ ॥ ३७४ ॥ ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा वा सभा सुहम्मा व सभाण सेट्ठा। निव्वाणसेट्ठा जह सव्वधम्मा न नायपुत्ता परमत्थि नाणी ॥ २४ ॥ ३७५ ॥ पुढोवमे धुणइ विगयगेही न संनिहिं कुव्वइ आसुपन्ने । तरि समुदं व महाभवोघं अभयंकरे वीर अणन्तचक्खू ॥ २५॥ ३७६ ॥ कोहं च माणं च तहेव मायं लोभ चउत्यं अज्झत्तदोसा । एयाणि वन्ता अरहा महेसी न कुव्वई पाव न कारवेइ ॥ २६ ॥ ३७७ ॥ किरियाकिरियं वेणइयाणुवायं अन्नाणियाणं पडियच ठाणं । से सव्ववायं इइ वेयइत्ता उवहिए संजमदीहरायं ॥ २७ ॥ ३७८ ॥ से वारिया इत्थि सराइभत्तं उवहाणवं दुक्खखयट्टयाए । लोगं विदित्ता आरं परं च सव्वं पभू वारिय सव्ववारं ॥ २८ ॥ ३७९ ॥ सोचा य धम्म अरहन्तभासियं समाहियं अट्टपदोवसुद्धं । तं सद्दहाणा य जणा अणाऊ इन्दा व देवाहिव आगमिस्सन्ति ॥२९॥३८०॥ त्ति बेमि ॥ सिरिवीरत्थुइज्झयणं छह ।।
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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