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________________ सुत्तागमे [सूयगड गंसि पवजमाणा एगायताणुकमणं करेन्ति ॥२१॥ ३४७ ॥ एयाइँ फासाइँ फुसन्ति बाल निरन्तरं तत्थ चिरहिईयं । न हम्ममाणस्स उ होइ ताणं एगो सयं पचणुहोइ दुक्खं ॥ २२ ॥ ३४८ ॥ जं जारिसं पुव्वमकासि कम्मं तमेव आगच्छइ संपराए । एगन्तदुक्खं भवमजणित्ता वेयन्ति दुक्खी तमणन्तदुक्खं ॥ २३ ॥ ॥ ३४९ ॥ एयाणि सोचा नरगाणि धीरे न हिंसए किंचण सव्वलोए । एगन्तदिट्ठी अपरिग्गहे उ बुज्झिज लोगस्स वसं न गच्छे ॥ २४ ॥ ३५० ॥ एवं तिरिक्खे मणुयामरेसुं चउरन्तणन्तं तयणुविवागं । स सव्वमेयं इइ वेयइत्ता कंखेज कालं धुयमायरेज ॥ २५ ॥ ३५१ ॥ त्ति बेमि ॥ निरयविभत्तियज्झयणं पञ्चमं ॥ सिरिवीरत्थुइयज्झयणे छठे पुच्छिस्सु णं समणा माहणा य अगारिणो या परतित्थिया य। से केइ नेगंतहियं धम्ममाहु अणेलिसं साहुसमिक्खयाए ॥ १॥ ३५२ ॥ कहं च नाणं कह दंसगं से सीलं कहं नायसुयस्स आसि । जाणासि णं भिक्खु जहातहेगं अहासुयं हि जहा निसन्तं ॥ २ ॥ ३५३ ॥ खेयन्नए से कुसलासुपन्ने अणन्तनाणी य अणन्तदंसी । जसंसिणो चक्खुपहे ठियस्स जाणाहिं धम्मं च धिइं च पेहि ॥ ३ ॥ ३५४ ॥ उर्दू अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा । से निच्चनिच्चेहि समिक्ख पन्ने दीवे व धम्म समियं उदाहु ॥ ४ ॥ ३५५ ॥ से सव्वदंसी अभिभूयनाणी निरामगन्धे धिइमं ठियप्पा । अणुत्तरे सव्वजगंसि विजं गन्था अईए अभए अणाऊ ॥५॥ ३५६ ॥ से भूइपन्ने अणिएअचारी ओहंतरे धीरे अणन्तचक्खू । अणुत्तरं तप्पइ सूरिए वा वइरोयणिन्दे व तमं पगासे ॥ ६ ॥ ३५७ ॥ अणुत्तरं धम्ममिणं जिणाणं नेया मुणी कासव आसुपन्ने । इन्दे व देवाण महाणुभावे सहस्सणेया दिवि णं विसिढे ॥ ७ ॥ ३५८ ॥ से पन्नया अक्खयसागरे वा महोदही वा वि अणन्तपारे । अणाविले वा अकसाइ मुक्के सके व देवाहिवई जुईमं ॥ ८॥ ३५९ ॥ से वीरिएणं पडिपुण्णवीरिए सुदंसणे वा नगसव्वसेटे। सुरालए वा सि मुदागरे से विरायए नेगगुगोववेए ॥ ९ ॥ ३६० ॥ सयं सहस्साण उ जोयणाणं तिकण्डगे पण्डगवेजयन्ते । से जोयणे नवनवते सहस्से उद्भुस्सियो हेट्ठ सहस्समेगं ॥ १० ॥ ॥ ३६१ ॥ पुढे नमे चिट्ठइ भूमिवट्ठिए जं सूरिया अणुपरिवत्र्यन्ति । से हेमवणे यहुनन्दणे य जंसी रई वेययई महिन्दा ॥ ११॥ ३६२॥ से पव्वए सहमहप्पगासे विरावई कवणमट्टवण्णे । अणुत्तरे गिरिसु य पव्वदुग्गे गिरीवरे से जलिए व भोम
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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