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________________ .सु. म. ५ उ०१] सुत्तागमे दासे मिए व पेसे व पसुभूए वा से न वा केई ॥ १८ ॥ २९५ ॥ एवं खु तासु विन्नप्पं संयवं संवासं च वजेजा। तजातिया इमे कामा वजकरा य एवमक्खाए ॥ १९ ॥ २९६ ॥ एयं भयं न सेयाए इइ से अप्पगं निरुम्भित्ता । नो इत्थि नो पसुं भिक्खु नो सयं पाणिणा निलिज्जेजा ॥ २० ॥ २९७ ॥ सुविसुद्धलेसे मेहावी परकिरियं च वजए नाणी । मणसा वयसा काएणं सव्वफाससहे अणगारे ॥ २१॥ ॥ २९८ ॥ इच्छेवमाहु से वीरे धुयरए धुयमोहे से भिक्खु । तम्हा अज्झत्तविसुद्धे सुविमुक्के आमोक्खाए परिव्वएजासि ॥ २२ ॥ २९९ ॥ त्ति बेमि ॥ इत्थिपरिनज्झयणं चउत्थं ॥ . निरयविभत्तियज्झयणे पञ्चमे पुच्छिस्सहं केवलियं महेसि कहं भितावा नरगा पुरत्था। अजाणओ मे मुणि बूहि जाणं कहिं नु बाला नरगं उवेन्ति ॥ १॥३०० ॥ एवं मए पुढे महाणुभावे इणमोऽब्बवी कासवे आसुपन्ने । पवेयइस्सं दुहमट्ठदुग्गं आईणियं दुक्कडिणं पुरत्था ॥ २ ॥ ३०१ ॥ जे केइ बाला इह जीवियट्ठी पावाइँ कम्मा करेन्ति रुद्दा । ते घोररूवे तमिसन्धयारे तिव्वाभितावे नरगे पडन्ति ॥ ३ ॥ ३०२॥ तिव्वं तसे पाणिणो थावरे य जे हिंसई आयसुहं पडुच्चा । जे लूसए होइ अदत्तहारी न सिक्खई सेयवियस्स किंचि ॥ ४ ॥ ३०३ ॥ पागन्भि पाणे बहुणं तिवाई अनिव्वुए घायमुवेइ वाले । निहो निसं गच्छइ अन्तकाले अहोसिरं कटु उवेइ दुग्गं ॥५॥३०४ ॥ हण छिन्दह भिन्दह णं दहेति सद्दे सुणेन्ता परधम्मियाणं । ते नारगाओ भयभिन्नसन्ना कंखन्ति कं नाम दिसं वयामो ॥ ६ ॥ ३०५ ॥ इझालरासिं जलियं सजोइं तत्तोवमं भूमिमणुकमन्ता । ते डज्ममाणा कलुणं थणन्ति अरहस्सरा तत्थ चिरटिईया ॥ ७ ॥ ३०६ ॥ जइ ते सुया वेयरणी भिदुग्गा निसिओ जहा खुर इव तिक्खसोया । तरन्ति ते वेयरणिं भिदुग्गं उसुचोइया सत्तिसु हम्ममाणा ॥ ८ ॥ ॥३०७ ॥ कीलेहि विज्झन्ति असाहुकम्मा नावं उवेन्ते सइविप्पहूणा । अन्ने उ सूलाहि तिसृलियाहिं दीहाहि विद्भूण अहे करेन्ति ॥ ९॥ ३०८ ॥ केसि च वन्धित्तु गले सिलाओ उदगंसि वोलेन्ति महालयंसि । कलंबुयावालुयमुम्मुरे य लोलन्ति पञ्चन्ति य तत्य अन्ने ॥ १० ॥ ३०९ ॥ आसूरियं नाम महाभितावं अन्धंतमं दुप्पतरं महन्तं । उर्दू अहे यं तिरियं दिसासु समाहिओ जत्थगणी झियाइ ॥ ११ ॥ ३१० ॥ जंसी गुहाए जलणेऽतिउट्टे अविजाणओ डझइ लुत्तपन्नो। सया य कलुणं पुण धम्मठाणं गाढोवणीयं अइदुक्खधम्मं ॥ १२ ॥ ३११ ॥ चत्तारि
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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