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________________ ... (नं. २२) जैन मुनि श्रीश्री हजारीमलजी महाराज व पं. मुनिश्री मिश्रीमल्लजी (मधुकर) महाराज की सम्मति __ "स्थानांगसूत्रके दोनों अंश और समवायांगसूत्र हमने पड़े। आचारांग और सूत्रकृतांगकी तरह ये प्रकाशन भी बहुत सुंदर निकले है । इन आगमोंके सम्पादनमें जैनधर्मोपदेष्टा उग्रविहारी मंत्री मुनि श्रीफूलचंद्रजी महाराजने जो परिश्रम उठाया है वह अत्यन्त प्रशंसाके योग्य है । स्वाध्यायप्रेमियों के लिए मुनिश्रीका यह प्रयास वहुत सफल सिद्ध हो रहा है। भावना तो यह है कि आगेके प्रकाशनभी बहुत शीघ्र हमारे हाथोमें आजाएँ।" प्रेपक-गजमल विरधीचंद तातेड़ मु. पो. विजयनगर (अजमेर) (नं. २३) मुनि श्रीफूलचंद्रजी म. द्वारा संपादित 'सुत्तागम' अंतर्गत आचारांगसूत्रकृतांग-ठाणायंग और समवायांग पुस्तक नंग ४ भेट मिली। 'सुत्तागमे' की उपरोक्त पुस्तकें स्वाध्याय योग्य होनेसे स्वाध्याय करके अतिप्रमोद प्राप्त हुआ है। जिज्ञासु और खाध्याय करनेवालो के लिए यह बहुत उपयोगी साधन है । विजयडायरी पढ़नेसे मालूम हुआ है कि 'सुत्तागमप्रकाशकसमिति' (गुड़गाँव पंजाव)ने आगमप्रचारविषयक योजना विशाल रक्खी हैं । यदि सुत्तागमकी तरह सौ १०० भापाओमें श्रीश्रमण भगवान महावीरस्वामी द्वारा निर्दिष्ट जगज्जतुकल्याणक अनेकान्त स्याद्वादर्भित जैनसिद्धान्त का प्रतिदेश प्रतिप्रान्त और प्रतिघरमें प्रचार हो तो इसके सिवाय दूसरा पुण्यकार्य क्या हो सकता है । यह धर्मप्रचारकी सर्वोपरि योजना है, यह कहते हुए हमें हर्प होता है । जैनसमाजके श्रीमान् विद्वानोका और श्रीमान् लक्ष्मीनंदनोका इसमें पूरा साथ हो तो कार्य जल्दी सुचारुरूपसे हो सकता है अतः दोनो उदार बनें । जामजोधपुर ता. ३१-८-५२ शुभेच्छुक जैन भिक्खु गव्वुलालजी स० (नं. २४) आपकी ओरसे सूत्रोंका वुकपोस्ट मिला, मेवाड़ भूपण. चतुर्मास-विहारमंत्री श्री १००८ मोतीलालजी म. की सेवामें प्रस्तुत किया. उत्तरमें फर्माया है कि आपको हार्दिक धन्यवाद है, आप बड़े परिश्रमपूर्वक शास्त्रोद्धार कर रहे है आपका शास्त्रोद्धार सराहनीय हैं। ऐसा परिश्रम करके
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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