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________________ सुत्तागमे [णायाधम्माहात्रो थणजहणवयगकरचरणनयणगवियविलानियगईन। मवेन न रजा वनहार न ते मरए ॥ १२ ॥ अगस्वरपवरवण उउयमणुलवणविहीन । गरेन से न गिटा वसट्टमरणं न ते मरए ॥ १३॥ तिनकडुयं कसायं-महवाबाजपेजलतोगी आसा(ए जे)यंमि न गिद्धा वसहमरणं न ते मरए ॥ १४॥ उगमागमन या सविभवहिययमण-निव्वुइकरेनु । फालेनु जे न गिवा वनमरणं न ले मरण ॥ १५॥ सद्देसु य भयपावएनु सोयविसयं उ(व)वागएन । नुट्टेण व म्हंग व नमणेग नग न होयध्वं ॥ १६ ॥ रुवेनु य भद्द(ग)यपावन व विनय उवगएन्छ । नुट्रेण व महेश व समणेण सया न होयव्वं ॥ १७ ॥ गंधेनु य भयपावाएन पागविग(यं उ)यमुवगएन । तुट्टेण व रुढेग व समणेग सया न होयव्यं ॥ १८ ॥ रसेन्यु य भयपायएसु जिन्भविस-यमुवगएमु । तुद्वेग व महेश व समगेण सया न होगव्यं ॥ १९ ॥ फासेनु य भयपावएन काय विस-यमुवगएन । तुट्टेण व गढेग व समणेण सया न होयव्वं ॥ २० ॥ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेगं जाय संपनेणं सत्तरसमस्स नायज्झयगस्स अयमढे पन्नत्ते तिबेमि ॥ १३८ ॥ गाहामओ-जह सो कालियदीवो अणुवमसोक्खो तहेव जइधम्मो । जह आसा तह साहू वनियन्चऽणुकूलकारिजणा ॥१॥ जह सद्दाइअगिद्धा पत्ता नो पामवणं आसा। नह विसएसु अगिद्धा वनंति न कम्मगा साहू ॥२॥ जह सच्छंदविहारो आसाणं तह य इह वरमुणीणं । जरमरणाई विवन्जिय संपत्ताणंदनिव्वाणं ॥ ३ ॥ जह सहाटनु गिद्धा वद्धा आसा तहेव विसयरया । पावेंति कम्मबंधं परमामुहकारणं घोरं ॥४॥ जह ते कालियदीवा णीया अन्नत्य दुहगणं पत्ता। तह धम्मपरिभट्टा अधम्मपत्ता इहं जीवा ॥ ५॥ पावेंति कम्मनरवइवसया संसारवाहयालीए । आसप्पमहएहि व नेरइयाइहिं दुक्खाइं ॥ ६ ॥ सत्तरसमं नायज्झयणं समत्तं ॥ ' जइ णं भंते ! समणेणं० सत्तरसमस्स (णायज्झयणस्स) अयमढे प-भत्ते अहारसमस्स के अढे पन्नत्ते ? एवं खलु जंवू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्या वण्णओ। तत्थ णं ध(ए)णे नामं सत्यवाहे (परिवसड) होत्या भहा भारिया। तस्स णं ध(ए)णस्स सत्यवाहस्स पुत्ता भदाए अत्तया पंच सत्यवाह. दारगा होत्या तंजहा-धणे धणपाले धगदेवे धणगोवे धणरक्खिए। तस्स णं घणस्स सत्यवाहस्स धूया भद्दाए अत्तया पंचण्हं पुत्ताणं अणुमग्गजा(ती)इया सुनुमा नामं दारिया होत्या सूमालपाणिपाया। तस्स णं धणस्स सत्यवाहस्स चिलाए नामं दासचेडे होत्या अहीणपंचिंदियसरीरे मंसोवचिए वालकीलावणकुसले यावि होत्था । तए णं से दासचेडे सुंसुमाए दारियाए वालग्गाहे जाए यावि होत्या सुंसुमं दारियं
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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