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________________ सु० १ ० १७ ] सुत्तागमे ११०५ २ त्ता पोयवहणं लंबेति २ त्ता ते आसे उत्तारेंति २ त्ता जेणेव हत्थिसीसे नयरे जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छेति २ त्ता करयल जाव वद्धावेंति (०) ते आसे उवर्णेति । तए णं से कणगकेऊ (राया) तेसिं संजुत्तावाणियगाणं उस्क्कं वियरइ २ त्ता सक्कारेइ संमाणेइ स ० २त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कणग केऊ- कोडुंबिय - पुरिसे सद्दावे २ त्ता सक्कारेइ संमाणेइ स० २ त्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से कण केऊ राया आसमद्दए सहावेइ २ ता एवं वयासी - तुब्भे णं देवाणुप्पिया । मम आसे aिrya | तए णं ते आसमद्दगा तहत्ति पडिसुर्णेति २ त्ता ते आसे बहूहिं मुहबंधेहिय कण्णवधेहि य नासावंधेहि य वालबंधेहि य खुरवंधेहि य कडगबंधेहि य खलिणवंधेहि य अहिला (णे ) णवंधेहि य पडियाणेहि य अंकणाहि य (वेलप्पहारे हि य) वि (चित्तप्पहारेहि य लयप्पहारेहि य कसप्पहारेहि य छिवप्पहारेहि य विणयंति (०) कणगकेउस्स रन्नो उवर्णेति । तए णं से कणगकेऊ ते आसमद्दए सक्का रेइ २ (०) पडिविसजे । तए णं ते आसा वहूहिं मुहबंधे हि य जाव छि (वर) वा पहारेहि यवहूणि सारीरमाणसा (णि) ई दुक्खाई पावेंति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वइए समाणे इट्ठेसु सद्दफरिसरसरुवगंधेसु सज्ज (न्ति) इ रज-इ गिज्न-इ मुज्झन्छ अज्झोववज-इ से णं इहलोए चेव बहूणं समणा ( ण य ) णं [वहूणं समणीणं] जाव साविया ( ण य णं हीलणिजे जाव अणुपरिय ( हिस्स ) दृइ । [गाहा ] - कलरिभियमहुरतंतीतलता लवंसक उहा भिरामेसु । सद्देसु रजमाणा रमं( ती ) ति सोइंदियवसट्टा ॥ १ ॥ सोइंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । दीविगरुयमसहतो वहवंधं तित्तिरो पत्तो ॥ २ ॥ थणजहणवयणकरचरण - नयणगव्वियविलासियग (ती) एसु । रूवेसु रजमाणा रमंति चक्खिदियवसट्टा ॥ ३ ॥ चक्खिदिय 1 तत्तणस्स अह एत्तिओ ह (भ) वइ दोसो । जं जलणंमि जलंते पडइ पयंगो अवुद्धीओ ॥ ४ ॥ अ (गु) गरुवरपवरधूवणउउय मल्लाणुलेवणविहीसु । गंधेसु रज्जमाणा रमंति घार्णिदियवसट्टा ॥ ५ ॥ घाणिदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं ओसहिगंधणं विलाओ निद्धावई उरगो ॥ ६ ॥ तित्तकडुयं कसायं ( ब ) [ अविरं] महुरं बहुखजपेजलेज्झेसु । आसायंमि उ गिद्धा रति जिब्भिदियवसट्टा ॥ ७ ॥ जिब्भिदि • यदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं गललग्गुक्खित्तो फुरइ थलवि (र) रेलिओ मच्छो ॥ ८ ॥ उउभयमाणमुहे (सु) हि य सविभव हिययमण निव्वुइकरे (सु) हिं । फासेसु रजमाणा रमंति फासिंदियवसट्टा ॥ ९ ॥ फासिंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं खणइ मत्थयं कुंजरस्स लोहंकुसो तिक्खो ॥ १० ॥ कलरिभियमहुरतंढीतलतालवंसकउहाभिरामेसु । सद्देसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ॥ ११ ॥ ७० सुत्ता०
SR No.010590
Book TitleSuttagame 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchand Maharaj
PublisherSutragam Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages1314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size89 MB
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