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________________ श्रेणिक विम्बसार तम को नष्ट करन वाला होगा। दो कलश तेरे पुत्र के ज्ञान तथा ध्यान को प्रकट करते है। दो मछलियो का फल यह है कि तेरे पुत्र को सभी सुख प्राप्त होगे । कमलसहित सरोवर का अर्थ यह है कि तेरे पुत्र का शरीर सभी उत्तम लक्षणो सहित सुन्दर होगा। समुद्र का फल यह है कि तेरे पुत्र को समुद्र के समान ज्ञान अथवा केवल ज्ञान प्राप्त होगा। सिहासन का फल यह है कि तेरे पुत्र का पूजन तीनो लोक करेगे । देवताओ के विमान का फल यह है कि तेरा पुत्र देवलोक को छोडकर तेरे गर्भ मे आवेगा। धररणेन्द्र के रथ का फल यह है कि तेरा पुत्र जन्म से ही ज्ञानी होगा। रत्नो की राशि देखने का फल यह होगा कि तेरा पुत्र सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान तथा सम्यक् चारित्र रूप रत्नत्रय का धारक होगा। अग्नि-शिखा देखने का फल यह है कि तेरा पुत्र सभी कर्मों को नष्ट कर मोक्ष प्राप्त करेगा। तेरे मुख मे जो गज ने प्रवेश किया है उसका फल यह है कि चौबीसवे तीर्थङ्कर ने तेरे गर्भ मे प्रवेश किया है। "तब तो महाराज मेरे स्वप्न वास्तव में बहुत अच्छे है।" रानी यह कहकर अत्यन्त प्रसन्न होकर अपने कमरे में चली आई। अब उसका गर्भ प्रतिदिन बढने लगा। रानी को यह देखकर अत्यन्त आश्चर्य होता था कि गर्भ के कारण उसको वमन आदि कोई भी उपद्रव कष्ट नही देते थे। रानी के दस मास देखते-देखते ही व्यतीत हो गए । अन्त मे उसने चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन एक अत्यन्त सुन्दर बालक को जन्म दिया। राजा सिद्धार्थ ने पुत्र के जन्म का उत्सव अत्यन्त समारोह से मनाया और याचको को खूब दान दिया। दसवे दिन बच्चे का नाम वर्द्धमान रखा गया । पाच वर्ष की आयु मे उनको पढने बिठला दिया गया। अब वह लडको के साथ खेलने जाने लगे। वर्द्धमान बचपन से ही बडे बलवान थे । जब उनकी आयु आठ वर्ष की हुई तो एक बार वह लडको के साथ खेल रहे थे कि एक हाथी पागल होकर अपनी साकल तुडा कर भाग निकला । अचानक वह उधर ही आ गया, जहा वर्द्धमान अन्य लडको के सग खेल रहे थे । हाथी को देखकर अन्य बालक तो भाग गए, किन्तु वर्द्धमान न भाग सके। हाथी ने उनको पकडने के लिये- उनके ऊपर सूड
SR No.010589
Book TitleShrenik Bimbsr
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherRigal Book Depo
Publication Year1954
Total Pages288
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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