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________________ M 151474545454545454545 स्मृति के आलोक में वर्तमान शताब्दी के प्रथम चरण में उत्तरी भारत के छाणी -(उदयपुर-राजस्थान) से एक ऐसे महान पुरुष का अभ्युदय हुआ, जिन्हें प्राप्त कर धरती निहाल हो गई। विलुप्त मुनि परम्परा को पुनर्जीवित करके वर्तमान शताब्दी में मुनि दीक्षा धारण करने का गौरव प्राप्त करने वाले छाणी के आचार्य, श्री शान्तिसागर जी महाराज चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागर जी 5 महाराज (दक्षिण) के समकालीन थे। व्यावर (राजस्थान) में दोनों संघों का एक साथ चातुर्मास हुआ था। आचार्य श्री शान्तिसागर (छाणी) महान् तपस्वी 47 प्रभावी संत थे। आचार्य श्री ने उस समय समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने TE हेतु श्रावक संस्था में नवीन चेतना जागृत की थी। सौम्य स्वभावी ,प्रशममूर्ति आ. श्री शान्तिसागर (छाणी) उपसर्ग विजेता थे। कई बार हमें आचार्यश्री के चरण सान्निध्य में रहने का अवसर मिला। - हमने अति निकट से उन्हें तपस्या करते हुए देखा और देखा कि उपसर्ग -- पर विजय प्राप्त करते हुए, उनकी परम्परा में प्रभावी संत हुए और आज भी जिन धर्म की महान प्रभावना करने वाले आचार्य, उपाध्याय आदि सन्त हैं। स्मृति ग्रन्थ के नायक के श्री चरणों में शतशः वंदन। मुनि मार्ग को प्रशस्त करने में आ. शान्तिसागर जी छाणी) का नाम भी अग्रगण्य है। वे महान् आचार्य थे। ऋषभदेव (राजस्थान) पं. मोतीलाल मार्तण्ड प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ 76
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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