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________________ 4514614545454545454545454545454545 भावपूर्ण श्रद्धाञ्जलि दर्शन ज्ञान चारित्र के परम नायक त्याग तपस्या की प्रशम मूर्ति जन-जन के उपकारक यतिवर। ऐसे गुरूवर आचार्य श्री के चरणों में __ मेरा शत्-शत् वंदन शत्-शत् वंदन। __ आचार्य श्री के सदुपदेशामृत से विश्व में अहिंसा सिद्धान्त का प्रचार-प्रसार हुआ है। परम कल्याणकारी गुरुवर की पावन-वाणी आचन्द्रार्क दैदीप्यमान रहेगी। मंगल कामना के साथ सदुपदेष्टा गुस्वर के चरणों में विनम्र श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ। रामपुरा, सागर पं. पन्नालाल बजाज शत-शत नमन विषयों की आशा नहीं जिनके, साम्य भाव धन रखते हैं। निजपर के हित साधन में, जो निशदिन तत्पर रहते हैं। उक्त भावना से पूरित चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री 108 श्री शान्तिसागर जी छाणी के श्री चरणों में मैं अपनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हुआ शत्-शत् नमन करता हूँ। छतरपुर योगाचार्य फूलचन्द जैन T 75 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ । LEISLSLSLSLSLSLSLSLSLSLSLSLSLSLS
SR No.010579
Book TitlePrashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherMahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali
Publication Year1997
Total Pages595
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth
File Size22 MB
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