SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चोधी० पूजन संग्रह जन्म-मति श्रुति अवधि ज्ञानत्रय भूषित सुमति जिनेश्वर जन्म लहो । दश अतिशय अद्भुत संग जानो, रूप सरूप अनूप गहो. ॥ तब एक मुहूरत नरक मांहि भी पायो सब जिय चैन तवे हम चेत शुकल ग्यारस के दिन कों, पूजत अर्घ चढाय अवै । ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेन्द्राय चैत्र .. शुक्ल एकादशी जन्म कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । तप-दीनों सब त्याग परिग्रह जिनने, बन में जाय सुयोग धरा। वैशाख शुकल नवमी के दिन, आतम सार विचार करा ॥ मौनालीन भये जो दिगंवर, पारन पय का कीना है । हम नित पूजें तुमरे चरण को, जो समता रस भीना है ॥ ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेंद्राय वैशाख शक्ल नवमी तपः कल्याण प्राप्ताय अघ निर्वपामीति स्वाहा। ज्ञान-पाया है केवल ज्ञान जिनेश्वर चेत इकादशि श्वेत कही । समवसरन रचियो तब धनपति बारह सभा अनूप सही बानी खिरे शब्द अंबर जिन सप्ततत्व परकाश करे। हम ध्यावें गावें पावें शिव सुख, चरनन आगे अर्घ धरे॥ ॐ ह्रीं श्रीसुमतिनाथ जिनेन्द्राय चैत्र शुक्ल एकादशी ज्ञान - कल्याणकाय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ मोक्ष-पाया है शिवथान जिन्होंने श्वेत इकादशि चेत दिना। शुभ गिरि समेद शिखर के ऊपर सुमति. ... जिनेश्वर कर्म हना ॥ जिन अष्टम धरा जाय थित कीनी अष्ट गुणन के मंडन हो । हमनुत
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy