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________________ . तीर्थकर भगवान महावीर कुछ पढ़ भी गया । कविता में प्रवाह है भावाकुलता है ही । मेरों उन्हें बधाई दीजिये।" (पत्र ता० २१-५-५९) प्रो०डा०स्व. गुलाबराय एम०ए०,डी.लिट०,मागराः___ "श्री वीरेन्द्र प्रसाद जैन द्वारा लिखित 'तीर्थकर भगवान महावीर' शीर्षक काव्य पढ़ा । इसमें भगवान महावीर के पावन चरित्र की सरल और पाडम्बर रहित भाषा में बड़ी रम्य झांकी मिलती है । इसमें भगवान महावीर के जीवन चरित्रकी सरलता; ऋजुता और दृढ़ प्रतिज्ञता पर्याप्त मात्रामें उतर पाई है । उनको बाल ब्रह्मचारी के रूप में दिखाया है। माता पिता से विवाह के प्रस्ताव पर वार्तालाप अत्यन्त मार्मिक है। संक्षेप में सिद्धान्त निरूपण भी अच्छा हुअा है । पुस्तक एक बड़ी प्रावश्यकता की पूर्ति करती है।" प्रो०डा रामकुमार वर्मा,एम. ए°, डोलिट०, प्रयागः "तीर्थकर भगवान महावोर' हिंदी की एक सफल और श्रेष्ठ कृति है । इसके लिए मेरी हार्दिक वधाई है । कृपया हिंदीको अन्य ग्रंथ रत्न दीजिये।" (पत्र १०-६-18) भारतीय प्रत्नविद्या के विश्रत विद्वान डा. वासुदेव शरण जी अग्रवाल, एम० ए०, डी. लिट्, हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी:"तीर्थकर भगवान महावीर' रचना में तुम्हारी काव्य साधना की सफलता देखकर चित्त प्रसन्न हुा । भगवान से यह प्रार्थना है तुम्हारा यह मार्ग उत्तरोत्तर पालोकित हो।" (पत्र ता०६-६-५६) प्रो. डा० कृष्णवत्त वाजपेयी, एम० ए०, डो० लिट्०, अध्यक्ष प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, सागर विश्व विद्यालय, सागरः"चिरंजीव वीरेन्द्रप्रसाद द्वारा लिखित 'तीर्थकर भगवान
SR No.010568
Book TitleTirthankar Bhagwan Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendra Prasad Jain
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1965
Total Pages219
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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