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________________ शुभ सन्देश और सम्मतियां महावीर' शीर्षक काव्य-ग्रन्थ प्राप्त हुप्रा । इस सुन्दर रचना को पढ़कर हादिक प्रसन्नता हुई । कवि ने अत्यन्त रोचक ढंग से भगवान महावीर का जीवन चरित्र दर्णन किया है। विविध छंदों में वर्धमान के समग्र चरित्र का सरस वर्णन पहली बार पढ़ने को मिला । भगवान का लोक रंजक रूप सरल शैली में गुम्फित किया गया है । नव युवक कवि को इस नूतन कृति के लिए बधाई।" (पत्र २७-६-५६) श्रीमान् डा० माताप्रसाद जी गुप्त, एम० ए०, डी० लिट०, प्रयाग विश्वविद्यालय, प्रयागः........."तीर्थकर भगवान महावीर' की प्रति मिली। अनेक धन्यवाद । मैं उसे आदिसे अन्त तक पढ़ गया। विषय का निर्वाह आपने बड़े हो सरल और काव्योचित ढंग से किया है । जीवनी से सम्बन्धित काव्यों में सूचनात्मक विवरणों के कारण प्रायः नीसरता मा जाती जाती है मापने उनको प्रमुखता नहीं दी है यह आपने अच्छा किया है। आपको इस रचना के लिए बधाई देता हूँ।" (पत्र ता० २६-५-५६) श्रीमान् डा० हरदेव बाहरी, एम० ए०, डो० फिल०, डी० लिट्०, प्रयाग विश्व विद्यालय, इलाहाबादः .. तीर्थकर भगवान महावीर' की एक प्रति भी प्राप्त हुई बड़ी सरस और सुन्दर साहित्यिक भाषा है इसकी,यह मैं नहीं जानता था कि आप इतने अच्छे कवि हैं। आपके भाव-चित्रण का सौष्ठव देकर चित्त प्रसन्न हो गया।" (पत्र ता० १७-५-४६) श्रीमान् म० पासिंह शर्मा, कमलेश', एम० ए०, पी. एच० डी०, हिन्दी विभाग, मागरा कालेज, आगरा__ "तीर्थकर भगवान महावीर' देख गया हूं। मुझे प्रापका यह काव्य प्रत्यंन्त सुन्दर लगा । भगवान महावीर का जीवन अपने जिस रूप में रखा है, वही स्वाभाविक है। और उसी को दृष्टि में रख कर श्रद्धालु श्रेय के पथ पर बढ़ सकते हैं। आपने इतनी
SR No.010568
Book TitleTirthankar Bhagwan Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendra Prasad Jain
PublisherAkhil Vishwa Jain Mission
Publication Year1965
Total Pages219
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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