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________________ ने मृतक सष्टीकरण ही किया है। यही समझना चाहिये। अपनी बात की सिद्धि के लिए महान शाखों में और उनके रयिता सिद्धांत रहस्य साधिकार टीकाकारों में विरोध बताना बहुत बड़ी भून और सर्वथा अनुचित है। पागे मोनी जी स्त्रियों की संख्या को अय स्वीकार भी करते है-- __"तथा दुव्यस्त्रियां अधिक हैं और भावनियां बहुत ही थोड़ी है इस बात को (पाहेण ममा का विममा) यह गोम्मटसार को गाथा कहती है, उमजिये अधिक को मुग्यता को लेकर गोम्मटसार के टीकाकारों ने द्रव्यस्त्रीणां या द्रव्यमनुष्य स्त्रोणां ऐसा बर्ष लिख दिया है, तावता गोम्मटमार का प्रकरण उक्त गाथा के होते हुये भी द्रव्य प्रकरण नहीं है।" इन पक्तियों द्वारा मानुषियों की संख्या द्रव्यस्त्रियों की संख्या है ऐसा सोनी जी ने स्वीकार भी किया और उमझ लिये गाम्मटसार मूल गाथा का (पाहण समाविसमा) यह भी दिया है और इसी के मृत के अनुसार टीकाकार ने इन्यत्री ज्यमनुष्यही लिखा है यह भी ठीक बताया है। इतनी सप्रमाण और सहेतुक व्यकी की मान्यता को प्रगट करते हुये भी सोनी की यहयं भी लिखते हैं कि "सावता गोम्मटसार काकरण एक गाथा के होते हुये भी द्रव्य प्रकरण नहीं है" हमको उनके इस गार पक्षात पूर्ण परसर विरुद्ध कथन पर मारपयं होगा। क्यों ५०ी , अब गाथा बता सी और उसी के अनुसार
SR No.010545
Book TitleSiddhanta Sutra Samanvaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
PublisherVanshilal Gangaram
Publication Year
Total Pages217
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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