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________________ श्रमण महावीर स्याद्वाद के बीज वर्द्धमान को राजनीतिक वातावरण में ही प्राप्त हो गए थे । धार्मिक वातावरण में वर्द्धमान ने उन्हें शतशाखी बनाकर स्थायी प्रतिष्ठा दे दी । परिवार अपने गुणों से प्रख्यात होने वाला उत्तम, पिता के नाम से पहचाना जाने वाला मध्यम, माता के नाम से पहचाना जाने वाला अधम और श्वसुर के नाम से पहचाना जाने वाला अधमाधम होता है - यह नीतिसूत्त अनुभव की स्याही से लिखा गया है । महावीर स्वनामधन्य थे । वे अपनी सहज तथा साधनाजनित विशेषता के कारण अनेक नामों से प्रख्यात हुए । उनके गुण-निष्पन्न नाम सात हैं वर्द्धमान, समन ( श्रमण ), महावीर', सन्मति, वीर, अतिवीर और ज्ञातपुत्र । बौद्ध साहित्य में उनका नाम नातपुत मिलता है । महावीर के पिता के तीन नाम थे - सिद्धार्थ, श्रेयांस और यशस्वी । उनका गोत था - काश्यप । महावीर की माता के तीन नाम थे-- त्रिशला, विदेहदत्ता और प्रियकारिणी । उनका गोत्र था - वाशिष्ठ । महावीर के चुल्लपिता का नाम सुपार्श्व, बुआ का नाम यशोदया, बड़े भाई का नाम नंदिवर्धन, भाभी का नाम ज्येष्ठा और बड़ी बहन का नाम सुदर्शना था । " महावीर का परिवार समृद्ध और शक्तिशाली था । उनके धर्म - तीर्थ के विकास में उसने अपना योगदान दिया था । विवाह कुमार वर्द्धमान अव युवा हो गए। उनके अंग-अंग में योवन का उभार आ गया । बचपन में भी सुन्दर थे । युवा होने पर वे और अधिक सुन्दर दीखने लगे, ठीक वैसे ही जैसे चांद सहज ही कान्त होता है, शरद् ऋतु में वह और अधिक कमनीय हो जाता है । कुमार की यौवनश्री को पूर्ण विकसित देख माता-पिता ने विवाह की चर्चा प्रारम्भ की। कुमार वर्द्धमान के जन्मोत्सव में भाग लेने के लिए अनेक राजा आए थे । १. आधारचूला, १५ १६ । २. साधारचूला, १५।१७ ३. साधारचूला, १५।१८। ४. नायकचूनि उत्तरभाग, पु० १६४ ॥ ५. बापाला १५।१६-२१ ।
SR No.010542
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages389
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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