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________________ १७६ श्रमण महावीर स्वतन्त्र अस्तित्व हैं । इनमें अत्यन्ताभाव है। यहां अरस्तू का तर्क महावीर के नय से अभिन्न हो जाता है । अरस्तू का तर्क है कि 'अ' 'अ' है और 'अ' कभी 'क' नहीं हो सकता । 'क' 'क' है और 'क' कभी 'अ' नहीं हो सकता। महावीर का नय है कि चेतन चेतन है, चेतन कभी अचेतन नहीं हो सकता । अचेतन अचेतन है, अचेतन कभी चेतन नहीं हो सकता। हम मूल तत्त्वों को पर्यायों के माध्यम से ही जान पाते हैं। पर्यायों का जगत् बहुत बड़ा है । यह उत्पन्न होता है और विलीन होता है । पल-पल बदलता रहता है। यहां अरस्तू का तर्क महावीर के नय से भिन्न हो जाता है। पर्याय-जगत् के बारे में महावीर का नय है कि 'अ' 'अ' भी है और 'अ' 'क' भी है । 'क' 'क' भी है और 'क' 'अ' भी है। 'अ' 'क' हो सकता है और 'क' 'अ' हो सकता है। भ्रमर काला है, पर वह काला ही नहीं है । वह पीला भी है, नीला भी है, लाल भी है और सफेद भी है। चीनी मीठी है, पर वह मीठी ही नहीं है। वह कड़वी भी है, खट्टी भी है, कषैली भी है और तीखी भी है । गुलाब का फूल सुगंधित है पर वह सुगन्धित ही नहीं है । वह दुर्गन्धित भी है। अग्नि उष्ण है, पर वह उष्ण ही नहीं है, वह शीत भी है । हिम शीत है, पर वह शीत ही नहीं है, वह उष्ण भी है। तेल चिकना है, पर वह चिकना ही नहीं है, वह रूखा भी है। राख रूखी है, पर वह रूखी ही नहीं है, वह चिकनी भी है। मक्खन मृदु है, पर वह मृदु ही नहीं है, वह कठोर भी है। लोह कठोर है, पर वह कठोर ही नहीं है, वह मृदु भी है। रुई हल्की है, पर वह हल्की ही नहीं है, वह भारी भी है। पत्थर भारी है, पर वह भारी ही नहीं है, वह हल्का भी है । व्यक्त पर्यायों को देखकर हम कहते हैं कि भ्रमर काला है, चीनी मीठी है, गुलाब का फूल सुगन्धित है, अग्नि उष्ण है, हिम शीत है, तेल चिकना है, राख रूखी है, मक्खन मृदु है, लोह कठोर है, रुई हल्की है और पत्थर भारी है । यदि व्यवत पर्याय अव्यक्त और अव्यक्त पर्याय व्यक्त हो जाए या किया जाए तो भ्रमर सफेद, चीनी कड़वी, गुलाब का फूल दुर्गन्धित, अग्नि शीत, हिम उष्ण, तेल रूखा, राख चिकनी, मक्खन कठोर, लोह मृदु, रुई भारी और पत्थर हल्का हो सकता है। काला या सफेद होना, मीठा या कड़वा होना, सुगंध या दुर्गन्ध होना, उष्ण या शीत होना, चिकना या रूखा होना, मृदु या कठोर होना, हल्का या भारी होना
SR No.010542
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages389
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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