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________________ तत्वार्थसूत्र सद्भावाद तस्य प्रत्येकम मिसम्बन्धात, अल्पक्रोधः-१ अल्पशनः पतनु वाचकः तेनाऽल्पः कल्पः क्रोधः क्रोधमोहनीयकोदयशायः असहनरूपाऽ. क्षमा परिणतिविशेषः क्रोधाल्पत्वमित्येवम् अल्पक्रोधोनाम भावासोदरिका तपः १ एबम्-अल्पमानः जात्याधभिमानराहिल्या भागाल्पता २ अल्पसायामायाल्पत्यम्-३ अल्पलोमा लोमाल्पता ४ अल्पशब्दा-परिमितभाषण, शहा. ल्पता-५ अल्पकलह-कलहाभा-६ अल्पशश:--परस्पर भेदोत्पादकवचनव्यापाररूप झञ्झस्याऽभाव:-७ इत्येवं रीत्या भावावलोदरिका तपोऽनेकविधं भवति । उक्तचापपाति के ३० सूत्रे-'ले कि तं सादे घोरिया ३ भागोमोयरिया अणेगविहा पण्णत्ता, लं जहा अपशकोहे? अयमाणे २ अपनाए३ अप्प. माल अल्पमाया, अल्पलोभ, अल्पशब्द, अल्पसलह, अल्पाक्ष आदि। 'अल्प' शब्द मन्दता यान्यूनता का वाचक है। अतः अल्पक्रोध का अर्थ है-क्रोध मोहनीय कर्म के उदश ले उत्पन्न होने वाले पुरसहनरूप अक्षमा परिणति की न्यूनता या मन्हला यह भन्दता अल्पकोध नामक आवअवमोदरिका तप है। इसी प्रकार जाति आदि के अभिमान की अल्पता को अल्पनाम तप समझना चाहिए । माया की अल्पता अल्पमोया कहलाति है। लोभ की अल्पता अल्पलोम है। परिमिल भाषण को अल्पशब्द कहते हैं । फलह का अभाव अल्पसलह है । परस्पर में भेद उत्पन्न करने वाले का प्रयोग झंझ कहलाता है और उसका अभाव अल्पझंझा। इस प्रकार भाव अवमोहारिका तप अनेक प्रकार का है। औप. पातिक सूत्र में कहा है-भाव अबलोहरि का तप कितने प्रकार का है ? અલ્પલેભ અપશબ્દ, અ૫કલહ, અલપ ઝંઝ – આદિ “અલપ’ શબ્દ મન્દતા અથવા ન્યૂનતાનું વાચક છે આથી અ૫ક્રોધને અર્થ છે કોઈ મેહનીય કર્મના ઉદયથી ઉત્પન્ન થનારા અસહનરૂપ અક્ષમાપરિણતિની ન્યૂનતા અથવા મન્દતા અ૫ ક્રોધ નામક ભાવ અમેરિકા તપ છે એવી જ રીતે જાતિ આદિના અભિમાનની અપતાને અપમાન તપ સમજવું જોઈએ માયાની અલ્પતા અપમાયા કહેવાય છે. લેભની અપતા અ૫ભ છે. પરિમિત ભાષણને અપશબ્દ કહે છે. કલહનો અભાવ અપકલહ છે. પરસ્પરમાં ભેદ ઉત્પન કરનાર વચના પ્રગને ઝંઝ કહેવાય છે અને તેનો અભાવ અ૯૫ઝંઝ છે—રીતે ભાવ અમેરિકા તપ અનેક પ્રકારના છે.
SR No.010523
Book TitleTattvartha Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages895
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size73 MB
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