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________________ [ ६२२ ] · श्रावश्यक कृत्य से रहित होने पर, शान्ति का अनुभव करता है। श्राहार आदि के त्याग में काल की अपेक्षा अनेक प्रकार होते हैं और उनके प्रत्याख्यान भी अलग-अलग हैं। * * (१.) नमोकारली का प्रत्याख्यान:--- 'सूरे उग्गए नमुक्कार संहियं पञ्चक्खामि असणं, पाणं, खाइम, साइम, अन्न. स्थणाभोगेणं, सहस्सागारेणं ।' (२) पौरुषी का प्रत्यास्थानः-- " सूरे उग्गए पोरसिहियं पच्चक्खामि, असणं, पाणं, खाइमं, साइम, अन्नत्थ- . णाभोगेणं, सहस्लागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरे। [३] एकाशन का प्रत्याख्यान:-- 'एग्गालणं पच्क्खामि असणं, पाणं खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहस्सागारेणं, श्राउट्टणपसारेणं, गुरुश्रभुडाणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमहिवत्तियागारेणं, बोसिहे। (४) एकलठाणा का प्रत्याख्यान । 'एकलठाणं पच्चक्खामि असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, गुरु अन्भुट्टाणेणं, सवसमादिवत्तियागारणं वोसिरे।' . (५) निधिगई का प्रत्याख्यान:-- निविगइयं पच्चस्वामि--असणं, पाणं, स्वाइम, साइमं, अन्नत्थरणाभोगेणं,. बरसागरण, निहत्थसंसे?णं, उक्खित्तविवगाणं, पडुच्चविगएणं, परिछावणियागारेणं. महत्सरागारेणं, सव्वसमाहियावत्तियागारेणं वोसिरे।' इस प्रत्याख्यान में विगय का त्याग करके प्रायः रूखी-सूखी रोटी और बाछ या ऐसा ही कुछ खाया जाता है। (६) आयंबिल का प्रत्याख्यान: 'आयविल पच्चक्वामि--असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगोणं, सहसागारणं, लेवालेवेणं, उफ्वित्तविवगाणं, महत्तरागारेण, सव्यसमाहिवत्तिया. गारेणं वोसिरे। (७) उपवास का प्रत्याश्यानः-- • सूरे उग्गए श्रमत्तं पच्चक्खामि--असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सद्दसागारेणं, महत्तरागारेणं, लब्बसमाहवारी यागारेणं योसिरे।' (८) दिवस चरम का प्रत्याख्यान:--
SR No.010520
Book TitleNirgrantha Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherJainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam
Publication Year
Total Pages787
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size51 MB
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