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________________ ( ७६ ) जैनतत्त्वादर्श. पण तो नथी, तेथी या जगत् अनादि अनंत सिद्ध युं. जो एम कहो के ईश्वरमां बने शक्तियो नथी तो पढी जगत् रचाशे पण नहि तेमज तेनो प्रलय पण थशे नहि. तेथी पण जगत् अनादि अनंत सिद्ध थयुं. जो एम कहो के ईश्वर रचवानी इछा करे बे त्यारे रचे बे, घने प्रलय करवानी इछा करे बे त्यारे प्रलय करे बे तेमां शुं दूषण ? तो तो ईश्वरी शक्तियो नित्य थई, जले अनित्य होय, तेमां अमारे शुं दानि बे ? पण जुर्ज, ईश्वरनी शक्तियो नित्य बे तो तो ईश्वर पण नित्य शे, कारण के ईश्वर पोतानी शक्तियोथी अभेद बे, जो एम कहो के शक्तियो ईश्वरथी नेदरूप बे तो पढी शक्तियो नित्य होवाथी जगत् रचा शे नहि तेम तेनो प्रलयपण थशे नहि, अने ईश्वर किंचित्कर सिद्ध थशे. कारण के ज्यारे ईश्वर सर्वशक्तियी रहित बे, त्यारे तो कांपण करवाने समर्थ नथी, पढी जगत् रजवामां केम समर्थ थशे ? वली शक्तिनुं उपादान कारण कोण यशे ? पढी ईश्वरनो व थ जशे . कारण के ज्यारे ईश्वरमां शक्तिज कांई नथी त्यारे ते ईश्वर शेनों ? तो तो यकाशना फुलसमान असत् बे पढी जगत्कर्त्ता कोने मानशो ? हवे खरडा निनो ईश्वरवाद लखियें बियें. खरडज्ञानी कहे बेके, जगत्मा जेटला पदार्थ बे तेना विलक्षण, विलक्षणसंयोग, आकृति, गुण तेमज स्वाव मालम पडे बे. जो कदी तेर्जनो तथा तेर्जना नियमोनो कर्त्ता कोइ न होय तो ते नियमो कदि बने नहि ; कारण के जड पदार्थमां मलवानुं तेमज जुदा थवानुं यथावत् सामर्थ्य नथी. ते हेतुथी ईश्वर कर्त्ता अवश्य होवा जोइयें. उत्तर पक्ष - प्रथम मे जगत्कर्त्ता ईश्वरनुं खंकन करी चुक्या बियें, तो पढी आप जगत्कर्त्ता केम मानो बो ? वली थापें कयुं के जगत्ना पदार्थोंमां जुदा जुदा खनाव मालम पडे बे, तेथी ईश्वर सिद्ध थाय बे; परंतु या कथनथी ईश्वर जगत्कर्त्ता सिद्ध यता नथी, कारण के सर्व पदार्थोमां अनंत शक्ति बे, तेथी पोतपोतानी शक्तिथी सर्व पदार्थों . पोतपोतानां कार्य करे बे. पदार्थोना संयोगमां निमित्त या बे. १ काल, २ स्वाव, ३ नियेति (जवितव्यता ) ४ जीवोनां कर्म, ५ जीवोनो उद्यम; १ प्रारब्ध- दैव- अदृष्ट - जीवकृत धर्माधर्म -किंवा- पुद्गलो.
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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