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________________ वितीय परिजेद. (७५) रनारा लियें, ते तेनाथी विपरीत चालिये बिये, तेथी थमने तेउँए शामाटे रच्या ? जो एम केहेशो के जन्मांतरोधी उपार्जन करेलां जे जे तमारां शुजाशुज कर्म डे ते कमोंने अनुसार तमने ईश्वर फल आपे , तो पड़ी तमारा केदेवाथीज ईश्वरनी स्वतंत्रतापर पाणी फगुं; कारण के जो अमारां कमोंविना ईश्वर फल आपी शकता नथी तो तो ईश्वरने कां आधीन नथी; जेवां अमारा कर्म हशे तेवु अमने फल मलशे, जो एम कहो के ईश्वर जे श्छे ते करे तो तो शुं जाणिये के ईश्वर शुं करशे, धर्मियोने नरकमां नाखशे के पापियोने स्वर्गमां मोकलशे ? जो एम कहो के परमेश्वर न्यायी , जेवं जेवं जे करे , तेवू तेवं तेने फल श्रापे , तो वली तेज परतंत्रतारूप दूषण ईश्वरमा लागे . वली ईश्वर नित्य जे एम केहेबु ते पण तमारा पोताना घरमांज सुंदर लागे डे, कारण के नित्य तो ते वस्तुने कहिये के जे त्रणे कालमा एकरूप रहे. जो ईश्वर नित्य ने तो झुं तेनामां जगत् बनाववानो खनाव डे के नहि जो एम कहो के तेनामां जगत् रचवानो खनाव तो ईश्वर निरंतर जगत्ने रच्या करशे,कदाऽपि बंध रदेशे नहि,कारण के जगत् रचवानो खन्नाव तो तेनामां नित्य जे.जो एम केहेशो के ईश्वरमां जगत् रचवानो खन्नाव नथी तो तो ईश्वर कदापि जगत् रचशे नहि, कारण के जगत् रचवानो स्वनाव तेनामां नथी. तथा जो ईश्वरमां जगत् रचवानो स्वजाव एकांत नित्य ने तो तो प्रलय कदापि नहि थाय, कारण के ईश्वरमां प्रलय करवानो खनाव नथी. जो एम कहो के ईश्वरमां रचवानी तेमज प्रलय करवानी बने शक्तियो नित्य ने तो तो कदापि जगत् रचाशे पण नहि, तेम तेनो प्रलय पण थशे नहि, कारण के परस्परविरुद्ध एवी बे. शक्तियो एक स्थानमा एककालमां कदापि रेहेती नथी. जो रेहेशे तो जगत् रचाशे नहि, तेम तेनो प्रलय थशे नहि कारण के जे कालमां रचनारी शक्ति रचशे तेज कालमां प्रलय करनारी शक्ति प्रलय करशे, अने जे कालमां प्रलय करनारी शक्ति प्रलय करशे तेज कालमा रचनारी शक्ति रची देशे; एवी रीतें ज्यारे शक्तियोनो परस्पर विरोध थशे त्यारे जगत् रचाशे नहि तेम तेनो प्रलय पण थशे नहि. हवे तो अमांरोज मत सिछ थयो. कारण के जगत् कोश्य रचेल नथी. तेम - तेनो कदापि प्रलय
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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