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________________ गया. राज्य सब जीतनाथ तथा सगजीतारि राजा राज्य बीजा तीर्थंकर (५३४) . जैनतत्त्वादर्श. लाख कोडी सागरोपम व्यतीत थये श्री संजवनाथजी त्रीजा तीर्थकर थया. राज्य सर्व सूर्यवंशी, चंडवंशी तथा कुरुवंशी आदि राजाउँमा रह्यु. इति श्री अजीतनाथ तथा सगर चक्रवर्ती अधिकार.. श्रावस्ती नगरीमा इक्ष्वाकुवंशी जीतारि राजा राज्य करता हता, तेने सेना नामा पटराणी हती, तेने संजव नामना पुत्र त्रीजा तीर्थकर थया, चोवीशे तीर्थंकरना वर्णन प्रथम परिछेदमां यंत्रमा तेमज गद्यमां लखी श्राव्या बीए. वीजा तीर्थंकरोनो वचमां जे अंतर डे तेपण यंत्रथी जाणी लेवू. श्ती तृतीय तीर्थकर वृत्तांत. । तेमनी पनी अयोध्या नगरीमांश्वाकु वंशी संवर राजा थया. तेमनी सिफार्था नामनी राणीनी कुखे श्रनिनंदन नामना चोथा तीर्थंकर थया. वाद अयोध्या नगरीमा इक्ष्वाकु वंशी मेघ राजानी सुमंगला राणी, तेना पुत्र सुमतिनाथ नामना पांचमां तीर्थकर थया. पबी कोसंबी नगरीमा श्वाकु वंशी श्रीधर राजानी सुसीमा राणी, तेना पुत्र पद्मप्रन नामना ग तीर्थंकर थया. पनी वाणारसी नगरीमा प्रतिष्ट राजानी पृथ्वी नामा राणी, तेना पुत्र श्री सुपार्श्वनाथ नामना सातमा तीर्थंकर थया. पनी चंद्रपुरी नगरीमा इक्ष्वाकु वंशी महासेन राजानी लक्ष्मणा नामा राणी, तेना पुत्र श्री चंप्रन नामना श्रापमा तीर्थकर थ. या. पठी काकंदी नगरीमा श्वाकु वंशी सुग्रीव राजानी रामा नामा राणी, तेना पुत्र श्रीसुविधिनाथ, अपर नाम पुष्पदंत नामना नवमा तीर्थंकर थया. अहीश्रा सुधीतो सर्व ब्राह्मणो जैनधर्मी श्रावक तथा चारे श्रार्य वेदो जे नरत राजाना समयमां रचवामां श्राव्या हता ते जणता हता. ज्यारे नवमा तीर्थकरतुं तीर्थ विच्छेद थयु, त्यारे ब्राह्मणो मिथ्यादृष्टि तथा जैन धर्मना वैषी अने जगतना पूज्य थया. कन्या, नूमि अने गोदानादिना लेनारा थया. सर्व जगत्मां उत्तम थया, सर्वना कर्त्ता हा अने मतोना मालेक बनी गया. सारांश ए जे के सुर्नु घर देखी कुतरो पण माल खा जाय , वली जगत्मा जे जे पाखंड तथा अनेक तरेहना देवताउनी पूजा तथा जे जे बीजा पण कुमार्गों प्रचलित थया दे, ते सर्व ते एज चलावेल . साक्षात् श्रादीश्वर जगवाननी रचेली सृष्टि
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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