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________________ ( ३४६) जैन तत्त्वादर्श. महाफल बे. दवे जु उनी अज्ञानता ? केवो स्ववचन विरोध बे ? जे करवामां पाप नथी, ते त्यागवामां धर्मफल कदापि होइ शके ? sa निरुक्तिवली पण मांस त्यागवा योग्य बे, ते बाबतमां मनुजी कड़े बे के ॥ श्लोक ॥ मांसभक्षयिताऽमुत्र, यस्य मांस मिहाडयां ॥ ए तन्मामांसस्य मांसत्वे, निरुक्तं मनुरब्रवीत् ॥ १ ॥ श्रर्थः - जेनुं मांस हुं खाउबुं, ते जीव, परजवमां मने प्रक्षण करशे, आ निरुक्तिश्री मनुजी कहे के, मांसमक्षण करनारने महापाप लागे बे. जे प्राणी मांस खावामां लंपट बे, ते जे जे जलचर मत्स्या दिजीवो, स्थलचरमृगादि जीवो, अने खेचर, तेतरादि जीवोने देखतांज, तेने मारीने खावानी तेर्जनी मति या बे. साक्षात् डाकणनी जेवी खावानी वृत्ति याय बे. मांस खानारा उत्तम पदार्थोंनो परिहार करी नीच पदार्थोंने ग्रहण करवामां उद्यत थायडे. साक्षात् कागडानी जेम अमृत बोडी विष्टामां चांच देवे. तेनुंज नाम निर्विवेकता . ॥ श्लोक ॥ ये नक्षयन्ति पिशितं, दिव्यभोज्येषु सत्स्वपि ॥ सुधारसं परित्यज्य, मुंजते ते हलाहलं ॥ १ ॥ अर्थः- सर्व धातुर्जने पुष्टि पनार, तथा इंडिने श्राब्हादकारक, दिव्य जोजन समान, दुध, खीर, दही प्रमुख, तथा मोदक, सुतरफेणी, घारी, खाजा, मोहनथाल, मेसुब, सक्करपारा, घेवर प्रमुख मिष्टान्न, तथा इक्षुरस, द्राक्ष, नारंगी, सफरजन, संतरा प्रमुख उत्तमफल तथा बदाम, पस्ता, एलची, जायफल, जावंत्री प्रमुख मुखवासी उत्तम वस्तु तजीने मूढमति, विस्रुगंधि, सूगवाला, तथा वमन थाय तेवा बीजत्स मांसनुं भक्षण करे बे. तेर्ज जीवितव्यनी वृद्धिवास्ते श्रमृतरसने तजीने जीवितव्यनो नाश करनार दलाल, विषनुं क्षण करे ठे. बालक पण पथ्थरने बोडी, सुवर्णने ग्रहण करे बे, परंतु मांसाहारी पुरुष तो मांसथी अधिक पुष्टि आपनार दिव्य जोजननो त्याग करी मांसने ग्रहण करे बे, तेथी ते बालक करतां पण अज्ञानी. मांस खावाथी मनुष्यनी निर्दयी प्रकृति थर जाय बे तेथी ते धर्मने योग्य रही शकता नथी. धर्मनुं मूल दया बे, या सिद्धांत सर्व उत्तम पुरुषो तथा संतजनो अंगीकार करे छे, तेथी मांसाहारी, मांस खावाथी दयायुक्त रही शकताज नयी, अने तेज कारणची तेने कसाई समान कह्या बे, तेथी मांसाहारीने धर्म नथी.
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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