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________________ (३३७) जैनतत्वादर्श ए चौपदपरिग्रहपरिमाण व्रत. गाय, नेस, घोडा, हाथी, बलद, बकरी प्रमुख जानवरो राखवानी संख्यानु परिमाण करे. हवे पोतानी श्छा परिमाणथी परिग्रह केवीरीतें राखे, ते कहीए बीए. रुघु तथा सोनु, घडेलुं तेमज नहि घडेलु आटला वजन राखु, तथा रुपैया, सोनामहोर, जवाहीर, आटलां राखं, ते प्रमाणे परिमाण करे, ते उपरांत पुण्योदयथी धनवृद्धि थाय तो, वधेलु धन, धर्मकार्योमां वापरे, वली वर्षप्रति बाटली नातनां वस्त्र पहेलं, तथा एकवरसमां श्राटटुं अन्न घर खरच वास्ते राखू, तथा आटबुं व्यापार वास्ते राखं, इ. त्यादि बाबतो, खरूप विस्तारथी, सातमा व्रतना खरूपमा कथन करवामां श्रावशे. क्षेत्र परिमाणमां, खेतरो, वाडी, बगीचा, सर्व मली आटलां सांती वा विघा जमीन राखं, तथा घर, चोकबंध, खडकीबंध, जुकान, तबेला, वखारो, तथा परदेश संबंधी पुकानोनी जयणा तथा नाडे राखवाना मकानोनी जयणा, तथा जाडे राखेलां मकानो समराववानी जयणा राखे; तथा कुटुंब संबंधी घर बनाववाना उपदेशनी जयणा; वली पोताना संबंधी तेमज गुमास्ता परदेश गया होय, अने पाउल तेउनां घर प्रमुखसमराववां पडे तो जयणा, आजीविकावास्ते कोश्नी चाकरी करवी पडे, तेवे प्रसंगे शेठना घरप्रमुख समराववानी जयणा. कुपद परिमाणमा त्रांबा, पितल, कांसा विगेरे धातुनां वांसणो तथा धातु बुटी अमुक मण राखवानी जयणा; छिपद परिमाणमा दास, दासी वेचाता लेवानो प्रतिबंध, परंतु पगारवाला नोकरो गणत्रीश्री राखवा जोइए, वली अमुक गुमास्ता राखवानी जयणा, चौपद परिमाण, गाय, नेंस, बकरी प्रमुख राखवानुं परिमाण संख्याथी करे, या व्रतना पांच अतिचार तेनुं स्वरूप लखीए बीए. १ धन परिमाण अतिक्रम अतिचार. ज्यारे श्छा परिमाणथी अधिक धन यश् जाय, त्यारे तीव्र लोजना उदयथी मनमां एवो संकल्प करे के, मारो पुत्र मोटो थयो , तेने धननी जरुर बे, वलि ते कमाश् शके तेवो थयो , तेथी मारे तेने धन श्रापबुं जोइए, एवो कुविकल्प करी पुत्रना नामथी अमुक रूपीथानी रकम जुदी राखे, ए प्रमाणे जुदी जुदी रीते धननां खाता राखे. धान्य पोताना परिमाणथी अधिक राखवानी
SR No.010519
Book TitleJain Tattvadarsha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherAtmaram Jain Gyanshala
Publication Year1899
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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