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________________ (१८) बीकानेर की स्थावर संपत्ति १--मोहल्ला मरोटियों का विशाल भवन (जिसमें पागे तीन मंजिला मकान है और पीछे की तरफ दो मजिला मकान है ) भागे पीछे के चौक, छप्परे और वाड़ा सहित । यह भवन कोटडी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मकान सस्था के संस्थापकोंने, सवर, सामायिक, प्रतिक्रमगा, पौषध, दया करने और साधु साध्वियों के ठहरने के लिये ( यदि वे ठहरना चाहें तो ) तथा मुनि महाराज एव महासतियों के व्याख्यान के लिये एवं इसी प्रकार के अन्य धार्मिक कार्यों के लिये दिया है । इसकी रजिस्ट्री स. १९८० में ता ३० नवम्बर १९२३ को हुई। तभी मे इस कोटही की सार सभाल सस्था कर रही है । सस्था ने इसकी मरम्मत कराई है, इसमें छप्पर वगैरह वनवाने में लागत लगाई है और सस्थापकों ने इस मकान का नया खत बीकानेर राज्य में श्री प्रगरचन्द भैरोदान सेठिया जैन पारमार्थिक सस्था के नाम करा दिया है । यह खत ता २६-४-४१ का है । नम्बर मिसल १७ तारीत्र मरजुया १३-१२-३८ई० नाम नहसील मालमडी नम्बर ३०३ है। इस खत के अनुसार इस मकान की कुल दरगज ३००५॥३॥ है। नोट-इस भवन में पहली मजिल में दरवाजे के दोनों तरफ के दोनों दीवानखाने और उनके नीचे के दोनों तनवा पस्या में नहीं दिये हुए है । ये दोनों अगरचन्दजी भैरोंदानजी मेठिया के निजी है और इनका खत उनके नाम का अलग बना हुआ है । दीवानखानों की कुन दरगज २२८॥ है । दीवानखानों के ऊपर की मंजिल सस्था की है। २-मोहल्ला मरोटियों का दूसरा दो मंजिला विशाल भवन (चौक औरवाड़ा सहित)। यह भवन मेठिया लायवेरी के नाम से प्रसिद्ध है। सस्थापक महोदयों ने यह भवन मेठिया जैन पारमार्थिक मस्या के लिये दिया है। अभी इस भवन में सेठिया प्रन्थालय, कन्यापाठशाला, वालपाठगाला, नाइट कॉलेज मादि मस्या के विभाग हैं। इसकी रजिस्ट्री वीकानेर में स १६८० में ता २८ नम्बर १६२३ को हुई । सस्थापकों ने इस मकान का नया खत बीकानेर राज्य से श्री अगरवन्द भरोंदान मठिया जैन पारमार्थिक सस्था के नाम करा दिया है। यह ग्वत ता २६-४-४१ का है । नम्बर मिसल १७ तारीख मरजुमा १३-१२-३८ ई नाम तहसील मालनडी नबर ३०५ है। इस खत के अनुसार इस मकान की दरगज १३६३॥ है । ता २८ नवम्वर १६२३ की रजिस्ट्री के बाद सस्या को प्राप्त जनीन तथा एक बाड़ा भी नये ग्वज्ञ में शामिल है। __ नोट-इस भवन में कन्यापाठगाना के वर्तमान मकान के नीचे का तहखाना (जिसकी दरगज १३६- है ) तथा तोन वाडों में से दो बाड़े १६ 91- दरगज के संस्था में नहीं दिये हुए है । यह तहखाना तथा दोनों वार्ड यगरचन्दजी भैरोंदानजी सेठिया के निजी है । तहखाने और दोनों वाहों के दो खत उनके नाम भलग बने हुए हैं ।
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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