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________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल सग्रह, पाठवा भाग ११५ विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण । घयण (भांड)की कथा ६४६ ६ २६५ न सू २७ गा ६३ टी . औत्पत्तिकी बुद्धि पर घाती कर्म २७ १ १६. अष्ट ३० श्लो १ घ्राणेन्द्रिय ३६२१ ४१८ पन प १५ सू १६१,ठा १२ ३. सू ४४३, जै प्र चउसरण पइण्णा ६८६ ३ ३५३ द प चॅवालीस वोलस्थावर की १६५ ७ २५२ म श १६ उ ३ सू ६५१ अवगाहनाकेअल्पवहुत्वके चक्रवर्तियों का वर्ण ७८३ ४ २६३ अाव. ह नि गा ३६१ चक्रवर्तियों की अवगाहना७८३ ४ २६३ श्राव.ह नि गा ३६२-३६३ . चक्रवर्तियों की गति ७८३ ४ २६१ ठा २ उ ४ सू. ११२ " चक्रवर्तियों की प्रत्रज्या ७८३ ४ २६५ ठा १० उ ३ सू ७१८ चक्रवर्तियों की स्थिति ७८३ ४ २६३ ग्राव ह नि गा ३६५-३६६ चक्रवर्तियो के ग्राम ७८३ ४ २६२ सम ६६ चक्रवर्तियों के जन्म स्थान ७८३ ४ २६२ ( सम १५८,आव ह य १नि . चक्रवर्तियों के पिता के नाम७८३ ४ २६२ | गौ ३६७-४०० . चक्रवर्तियों के स्त्री रत्न ७८३ ४ २६४ सय १५८ '. चक्रवर्ती ४३८ २ ४२ ठा ६उ ३सू ४६ १,पन्न प स ३७ चक्रवर्ती का काकिणीरत्न ७८३ ४ २६१ टा.८ उ ३ सू ६३३ चक्रवर्ती का बल । ७८३ ४ २६२ श्रात्र म गा ७३-७४ पृ चक्रवर्ती का भोजन ७८३ ४ २६१ ज वक्ष २ स २० टी चक्रवर्ती का हार ७८३ ४ २६३ सम ६४ . चक्रवर्तीकीमहानिधियांनो६५४ ३ २२० ठा ६ उ ३सू ६७३ OY
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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