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________________ ܘ ܀ श्री मेठिया जैन ग्रन्थमाला विषय वोल भाग पृष्ट प्रमाण गुण सत्ताईस साधु के ६४५ ६ २२८ सम २५, उत्तम 3 १गा १८, आव ह म ४EE गण सत्रह श्रावक के ८८३ ५ ३६२ ध भवि.२ खो २२ टी. गया १६दीक्षा लेने वाले के-६४ ५ १५८ ध अधि.३लो ७३-७८ । गुणस्थान ४६७ २ २०६ गुणस्थान का सामान्य ८४७५६८ कर्म मा २,४, प्रब द्वा । स्वरूप गा ५१०२ गुणस्थान चौदह ८४७ ५ ६३ वर्भ. भा २,४, प्रब द्रा २० । गा १३००, गुगा यो. गुणस्थानों में अट्ठाईस द्वार ८४७ ५ १०५ गुण यो गुणस्थानों में अन्तर द्वार ८४७ ५ ११२ गुणा थो गणस्थानांमअल्पवहत्वद्वार८४७ ५ ११३ गुण. या फर्ग गा गा. गणस्थानों में आन्म द्वार ८४७ ५ १०८ गुण थी. गुणस्थानों में उपयोगद्वार ८४७ ५ १०६ गुण यो गुणस्थानों में कर्म प्रकृतियों-४७ ५ ६४ कर्म गा.२गा.१३.७१ का उदयाधिकार गुणस्थानों में कर्मप्रकृतियों ८४७ ५ १८ कर्म. भा २ गा.. ८ का उदीरणाधिकार गणस्थानों में कर्मप्रकतियां-१७ ५८: यौ मा २ गा - १ का बन्याधिकार गणयानाकर्मप्रतियो-४७५ ह म भा• गा -" का मताधिकार गगास्थानों में कारणहार ८४७ ५ १०७ गुणा भा. गगास्थानों में क्रिया द्वार ८४७ ५ १०६ गुर पा
SR No.010515
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1945
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size11 MB
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