SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री सेठियाजेन प्रन्थमाला देता हूँ। ऐसा कह कर अभय कुमार राजा चण्डप्रद्योतन को अपने साथ लेकर चला और सेनापति और उमरावों के डेरों के पीछे गड़ा हुआ धन उसे दिखला दिया। राजा चण्डप्रद्योतन को अभय कुमार की बात पर पूर्ण विश्वास हो गया। वह शीघ्रता के साथ अपने डेरे पर आया और अपने घोड़े पर सवार होकर उसी रात को वह वापिस उज्जयिनी लौट गया प्रातःकाल जब सेनापति और उमरावों को यह पता लगा कि राजा भागकर वापिस उज्ज-' यिनी चला गया है तब उन सबको बहुत आश्चर्य हुआ। विना नायक की सेना क्या कर सकती है ऐसा सोच कर सेना सहित वे सब लोग वापिस उज्जयिनी लौट आये। जब वे राजा से मिलने के लिये गये तो पहले तो उन्हें धोखेबाज समझ कर राजा ने उनसे मिलने के लिये इन्कार कर दिया किन्तु जब उन्होंने बहुत प्रार्थना करवाई तब राजाने उन्हें मिलने की इजाजत दे दी। राजा से मिलने पर उन्होंने उससे वापिस लौटने का कारण पूछा। राजा ने सारी बात कही । तब उन्होंने कहा देव ! अभयकुमार बहुत बुद्धिमान् है उसने आपको धोखा देकर अपना बचाव कर लिया है । यह सुन कर वह अभयकुमार पर बहुत क्रुद्ध हुआ । उसने आज्ञा दी कि जो अभयकुमार को पकड़ कर मेरे पास लावेगा उसे बहुत बडा इनाम दिया जायगा । एक वेश्या ने राजा की उपरोक्त प्राज्ञा स्वीकार की । वह श्राविका बनकर राजगृह में आई। कुछ समय पश्चात् उसने अभयकुमार को अपने यहाँ भोजन करने का निमन्त्रण दिया । उसे श्राविका समझ कर अभयकुमार ने उसका निमन्त्रण स्वीकार कर लिया और एक दिन भोजन करने के लिये उसके घर चला गया । वेश्या भोजन में कुछ मादक द्रव्यों का मिश्रण कर दिया था इसलिये भोजन करते ही अभयकुमार बेहोश हो गया। उसी समय वेश्या उसे रथ में बढ़ाकर
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy