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________________ श्री जैन मिद्धान्त बाल संग्रह छठा भांग' से कहना कि अग्नि रथ, अनलगिरि हाथी, वज्रजंव दूत और शिवादेवी, इन चारों को मेरे यहाँ भेज दे। दूत ने जाकर राजा श्रेणिक की कही हुई बात राजा चण्डप्रद्योतन को कही । दूत की बात सुन कर राजा चण्डप्रद्योतन अति कुपित हुआ। बड़ी भारी सेना लेकर उसने राजगृह पर चढ़ाई कर दी। राजगृह के बाहर उसने सेना का पड़ाव डाल दिया। जब इस बात का पता राजा श्रेणिक को लगा तो उसने भी अपनी सेना को सज्जित होने का हुक्म दिया। उसी समय अभयकुमार ने आकर निवेदन किया--देव ! श्राप सेना सजाने की तकलीफ क्यों करते हैं। मैं ऐसा उपाय करूँगा कि मासाजी (चण्डप्रद्योतन राजा) कल प्रातःकाल स्वयं वापिस लौट जाएंगे। राजा ने अभयकुमार की बात मान ली। रात्रि के समय अभयकुमार अपने साथ बहुत सा धन लेकर राजमहल से निकला। उसने चण्डद्योतन राजा के सेनापति तथा ग्ड़ बड़े उमरानों के डेरों के पीछे वह धन गडवा दिया। फिर वह राजा चण्डप्रद्योतन के पास आया। प्रणाम करके अभयकुमार ने कहा मासाजी! मेरे लिये तो आप और पिताजी दानों समान रूप से भादरणीय हैं। अतः मैं आपके हित की बात कहने के लिये आया हूँ क्योंकि किसी के साथ धोखा हो यह मुझे पसन्द नहीं है। राजा चण्डप्रद्योतन बड़ी उत्सुकता से अभयकुमार से पूछन लगा--वत्स ! मुझे शीघ बतलाओ कि मेरे साथ क्या धोखा होने वाला है ? अभयकुमार ने कहापिताजी ने आपके सेनापति और बड़े बड़े उमरावों को धूंस (रिश्वत ) देकर अपने वश में कर लिया है। वे लोग सुबह । आपको पकड़वा देंगे। यदि आपको विश्वास न हो तो मेरे साथ चलिये । उन लोगों के पास आया.हुआ धन में आपको दिखला
SR No.010513
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1943
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size10 MB
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