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________________ भी सेठिया जैन मन्षमाला vowwwwwwwww (११) शिवा प्राचीन समय में विशाला नाम की एक विशाल और सुन्दर नगरी थी। वहाँ,चेटक राजा राज्य करता था। उसके सात कन्याएं थीं। उन में से एक का नाम शिवा था। जवषा विवाह के योग्य हुई तमराजा चेटक ने उसका विवाह उज्जैन के महाराज चण्डप्रद्योतन के साथ कर दिया। शिवा देवी जिम प्रकार शरीर से सुन्दर थी उसी प्रकार गुणों से भी वह सुन्दर थी। विवाह के बाद उज्जैन में माफर वामपने पनि के साथ सुखपूर्वक समय बिताने लगी। अपने पति के विचारों का वह वैसे ही साथ देती जैसे छाया शरीर का साथ देती है। भवसर भाने पर एक योग्य मन्त्री के समान उचित सलाह देने में भी वह न हिचकती थी। इन सब गुणों से रामा उसे बहुत मानने लगा और उसे अपनी पटरानी बना दिया। राजा के प्रधान मन्त्री का नाम भूदेव था। इन दोनों में परस्पर इतना प्रेम था कि एक दूसरे से थोड़ी देर के लिये भी कोई अलग होना नहीं चाहता था। फिसी भी बात में राजा मन्त्री पर अविश्वास नहीं करता था। यहाँ तक कि अन्तःपुर में भी राजा अपने साथ उसे निःशङ्कले जाता था। इस कारण रानी शिवा देवी का भी उसके साथ परिचय हो गया।अपने पति की उस पर इतनीज्यादह कृपा देख फर वह भी उसका उचित सत्कार करने लगी। मन्त्री का मन मलिन था। उसने इस सत्कार का दसरा ही भर्थ लगाया। वह रानी को अपने जाल में फंसाने की चेष्टा करने लगा। रानी की मुख्य दासी को उसने अपनी भोर कर लिया। दासी के द्वारा भपनावरा भभिप्राय रानी के सामने रखा। रानी विचार करने लगी कि पुरुषों का हृदय फितना मलिन
SR No.010512
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages529
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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