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________________ ( १६.) पृष्ठ, बोल न० बोल न. ३२३ ३५२ ०८ सुख देवों में __४० ७५३ सन्तान चकवतियों को २६५/०६० साप्तपदिक व्रत का उदाहरण ७७० सन्मति (महावीर) 150 सामानिक देवों की ७७६ समवायांग संख्या ८०८ समुद्घात देवों में ३३१/१०सिद्धशिला के नाम ८१२ समुद्रपाल मुनि (आव भावना) ७७५ सुधर्मा स्वामी ७६१ समुद्रपालीय अध्ययन | VEE सूर्य, चन्द्रों की संख्या ३०० ५५/ को वारह गाथाए ७७६ सूत्रकृताङ्ग ७६६ सम्भोग बारह २१२/ ७७८ सूत्र के बारह भेद २३५ २१ सम्यक्त्व के लिए | ७७६ सूयगडांग 0 तेरह दृष्टान्त (७७७ सुरपएणति २३० ४६१ ८२१ सयडाल का दृष्टान्त (७७७ सूर्यप्रजाति ३१७ ८०१ सर्वघाती प्रकृतियाँ 1८८८ सौधर्म देवलोक ८०८ सहसार कल्प ३ ७५३ स्त्रीरन चक्रवर्तियों के २६४ ८०६ सादि अनन्त प्रकृतियाँ ३३५ ८०६ सादिसान्त प्रकृतियां ३३८/ 1८०६ स्थविरकल्प के विशेषण ३१४ | ७७६ स्थानांग सूत्र ७८१ साधु के लिए मार्ग प्रद |७३ स्थिति चकवर्तियों की २६३ र्शक वारह गाथाए २५५/ JEE स्थिति देवलोकों मे ३२४ ७६५ साधु की पडिमाएं २८५ ०८ सर्श देवों का ३२९ ८०५ साधु की वारह उपमा ३०६) 100 स्वलिंगी का उपपात ३३६ ७६६ साधु के बारह सम्भोग २६२/ ७६७ साधु (ग्लान) की वैया ७० स्वाध्याय का उदाहरण २४० पच्च करने वाले चारह २६७. ८०६ सापेक्ष यति धर्म के 1८१२ हरिकेशी मुनि (संवर भावना) ३८६ चारह विशेषण ३१४/७५३ हार चक्रपतियों का .२६३
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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