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________________ ( १८ ) नोन नं. पृष्ट बोल नं. उदाहरण २५२ १०८ विफर्वणा देवों में ३३१८१२ शिव राजर्षि (लोक ७७० विदेह । भावना) ३८७ ८१३ विनय के तेरह भेद ३६१ 1८०५ श्रमण की उपमाए ३६ ७७६ विपाक सूत्र २१३/७७० श्रमण या सहज ८०८ विमानों का आधार ३२७७७१ श्रामण्य पूर्विका अध्ययन ८०८ विमानों की ऊँचाई ३२७ की ग्यारह गाथाएँ ११ ८८ विमानों की मोटाई ३२७ ७७४ श्रावक की पडिमाएँ १८ ८०८ विमानों का वर्ण | Sty श्रावक के भाव वन २८० ८०८ विमानों का विस्तार ३२७ | ७६४ (क) भाषक के १२ व्रत ४६३ ८०८ विमानों की संख्या ३१६ |७३ श्रावक आजीवक के . २७६ ८०८ विमानों की संख्या ३२३ | ७० श्रावकमायो का दृष्टान्त २४५ ८०८ विमानों का सस्थान ३२७ ८२१ श्रेणिक काष्टान्त ४६५ ८ विमानों का स्वरूप ३१६७० श्रणिक के कोप का ७७६ विवाग सुय २१३ उदाहरण २५३ ७७६ विवाह पएणति १३८७७६ श्रेणिक की रानियों २०१ ८०४ विशेषण बारह धर्म के ३०६ / ८११ श्रेयासकुमार का ८०६ विशेषण स्थविरकल्पके ३१४ । दृष्टान्त ४२३ ८२१ विष्णुकुमार का दृष्टान्त ४८५८०८ श्वासोच्छवास देवों का ३२६ ८०८ वेदना देवों में ३३६ ८०८ वेशभूषा देवों में ३३१ स ७७१ सालीय ६-0 संख्या देवों की ३२८ १७ वैयावच्च करने वाले १६७ ८१२ सबर भावना ७७५ व्यक्त स्वामी २१ ससार भावना ७८८ व्यवहार भपा के भेद २७२। ८०८ सस्थान देवों के ३२६ ७७३ व्याख्या प्रज्ञप्ति १३८ ८०८ संहनन देवों के ३२६ ७६४ व्रत (भाव) श्रावक के २८० २१ सकडाल का दृष्टान्त ४६१ ८१२ सनत्कुमार चक्रवती, (अशुचि भावना) ३८४ ७८० शब कुमार के साहम का [2०८ सनत्कुमार देवलोक ३२१ सासी ३६ ३६०
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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