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________________ बोल नं० ८० देवों के चिन्ह ८० देवों के संस्थान ८० देवों में अनुभाव ८०८ देवों में उत्तरोत्तर बढ़ने वाली सात बातें ८०८ देवों में उद्वर्तना विरह ८०८ देवो में उपपात देवों में उपपात विरह देवों में कामभोग ८०८ देवों में कामवासना ८०८ देवों मे क्षुधा, पिपासा ८० देवों में गतागन देवों में ज्ञान ८० देवों मे दृष्टि देवों से प्रवीचार देवों में लेश्या ८०८ देवों में विकुर्षणा ८० देवों में बेदना ८० देवों में समुदुधात ८०८ देवो मैं साता (सुख) ८०६ देशघाती प्रकृतिया ७८६ दोप काया के बारह १८२ दोहे भावनाओं के ध ( १५ ) पृष्ठ | बोल नं० ३१६८०४ धर्म के बारह विशेष ८१२ धर्म भावना ८१२ धर्मरुचि मुनि (धर्म भावना) ३२६ ३३६ ३८६ ३३४८०६ प्र वबन्धिनी प्रकृतियों ३३७ ३३२ ८०६ प्र वसत्ताक प्रकृतियाँ ३४२ ३३६ | ८०६ ध ुवोदया प्रकृतियाँ ३४१ ३३२ ३३२ ३३३७८० नकुल का दृष्टान्त ७६६ नक्षत्रों की सख्या ८२१ नन्दमणिकार का ३३१ ३३२ ३३० ३३० ३३३ न दृष्टान्त ८१२ नमिराजर्षि (एकत्व भावना ) ३३०८११ नव तषों के ज्ञान से परम्परा लाभ ३३१ ३३६ ८१० नाम, ईषत्प्राग्भारा के १७६ धन्ना अनगार की कथा २०४ ८२१ धन्ना का दृष्टान्त ४४६ ८२० धन्नासार्थवाह (ऋषभदेव का पहला भव) ४०६ ३३१ ३३१ ३४८ | ७७७ निरियात्रलियाच २७३ | ८१२ निर्जरा भावना ३७६ | ७६४ निश्चय और व्यवहार · पृष्ठ ३०६ ३७३ प ७८३ पञ्चेन्द्रिय रत्न चक्रबर्तियों के ७७४ पडिमाऍ श्रावक की ७६५ पडिमाऍ साधु की २४६ ३०० ७७० नाम ग्यारह महावीर के ३ ७६० नाम बारह मान के - ४४४ ३८१ ३५२ ३५२ से श्रावक के भाव व्रत २८० २७५ २३२ ३६६ २६३ १८ २८५
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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