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________________ बोल नं० ७८५ आर्य के बारह भेद ८२६ आर्याषाढ का दृष्टान्त ८१२ आश्रव भावना ८१७ श्राधारक अनाहारक के तेरह द्वार इ ७७५ इन्द्रभूति गणधर ८०८ इन्द्र सामानिक आदि ई ८० ईशान देवलोक ८१० ईषत्प्राग्भारा के नाम उ ७७६ उपासक दशाङ्ग ७७४ उपासक पडिमाऍ ७७७ उषबाई सूत्र ७७६ उवासँग दसाओ ( -१२ - १२ 冠 ८०८ ऋद्धि देवों मे पृष्ठ | बोल न० २६६ | ८१२ ऋषभदेव के पुत्र (बोधि दुर्लभ भावना ) १४६६ ३६७ | ८२० ऋषभदेव भगवान् के तेरह भव ३६८ २४ ३३३ ७८१ उत्तराध्ययन इक्कीसवें अध्ययन की गाथाएं २५५ ८१६ उत्तराभ्ययन चौथे अध्ययन की तेरह गाथाएं ८०५ उत्तरोत्तर घटने वाली चार बातें देवों में ८०८ उद्वर्तना विरह देवों में ० उपपात विरह देवों में ८०५ उपमाऍ साधु की ७८६ उपयोग बारह ) ए ८१२ एकत्व भावना ७८३ एकेन्द्रिय रत्न चक्रबर्तियां के ३२० ३५२ ७७७ औपपतिक सून क ७७७ कप्पवर्डिसिया सूत्र ७८० कमलामेला का पृष्ठ ૬૩ ७७६ एवन्ता कुमार की कथा १६८ भौ ७८६ काया के बारह दाष १८८१६ कायक्लेश के भेद २१५ | ८०७ कायोत्सर्ग के आगार १६० | ८१४ क्रियास्थान तेरह ३८५ ७८० कुब्जा का उदाहरण ३३१ | ८२१ कुशध्वज का दृष्टान्त ४०६ ३६२ २१५ उदाहरण २५० ४०६ | ७६२ कम्मियाबुद्धि के दृष्टान्त २७६ ८० कर्म प्रकृतियों के द्वार ३२६ ३३५ | ८०८ कल्पोपपन्न देव बारह ३१८ ३३२ | ८०७ काउसमा के आगार ३३२ | ७८३ काकिणी रत्न ३०६ ० कामभोग देवों में ८०८ काम वासना देवों मे २६७ ३१६ २६१ ३३२ ३३३ १६० २७३ ३६७ ११६ २३३ ३६२ २३६ ४५५
SR No.010511
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year2051
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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