SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अकाराद्यनुक्रमणिका बोल नं० ___ पृष्ठ संख्या बोल नं० पृष्ठ संख्या ५९१ अक्रियावादी आठ ९० ६९, अस्वाध्याय (आकाशज)३५६ . । ७३५ अग्निकुमारों के ६९१ अस्वाध्याय(औदारिक)३५८. . .. अधिपति ४१८/६९१ असज्झाय औदारिक ३५८ . ६८१ अच्छेरे दस २७६ ७३१ असुरकुमारों के ७५० अजीव परिणाम ४२९ अधिपति . ४१७ ६१० अण्डज पोतज आदि ७०३ अहङ्कार के कारण ३७४ आठ त्रस १२७ । ६२२ अहिंसा कीश्राउ ७०५ श्रद्धा प्रत्याख्यान ३७६ उपमाएं ६२० अनन्त आठ স্মা ७२० अनन्तक दस ४०३ ६९० आकाश के दस ६५५ अनुत्तर दस केवलो के२२३ | असज्झाय ३५६ ६५३ अनृद्धिप्राप्त आर्य के ५८८ श्रागार आठ प्रायम्बिल .. नौ भेद २१९ ५९४ अनेकान्तवाद पर पाठ दोष ५८७ आगार पाठ एकासना और उनका वारण १०२ ६२४ अभिगम पाँच १६७ | ६२९ श्रागार नौ निविगई। ७५१ अरूपी अजीव दस पच्चक्खाण के १७४ जीवाभिगम ४३४ | ५९० अाठ कर्म ४३ ५९९ अल्प बहुत्व वेदों का १०९ / ५६७ आठ गुण सिद्ध भगवान् । ६४१ अवसरज्ञ आदि जानकार के नौ भेद २१२ | ५७५ आठ गुणों वाला साधु ... ६७८ अवस्था दस २६७ आलोयणा देने योग्य ७१५ असंक्लेश ३८९ . होता है. १५ ७११ असंवर ३८६/५९७ आठ स्पर्श ... १०८ ६९० असज्भाय आकाश ५७६ आत्मदोष की आलोयणा.. सम्बन्धी दस ३५६ | करने वाले के आठ गुण १६
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy