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________________ ७५८ महानदियाँ दस ... ..४४० स्थान ४४४ ७५९ महानदियाँ दस .. ४४१. | ७६४ मन के दस दोष ४४७ ७६० कर्म और उनके .. ७६५ वचन के दस दोप ४४८ कारण दस ४४१ | ७६६ कुलकर दस-गत ७६१ साता वेदनीय कर्म : उत्सर्पिणी काल के ४४९ बाँधने के दस बोल ४४३ / ७६७ कुलकर दस पाने ७६२ ज्ञान वृद्धि करने वाले वाली उत्सर्पिणी के ४५० नक्षत्र दस ४४४ / ७६८ दान दस ४५० ७६३ भद्रकर्म बाँधने के दस । ७६९ सुख दस ४५३ शुद्धिपत्र नियुक्ति (ठाणांग सूत्र ६४६) (उवधाई सूव ११) (उत्तराध्ययन अ०:०) (भगवती श० २५ उ०७) नत्वों ___ शुद्ध . पृष्ठ पंक्ति(प्रोली) नियुक्ति ____ ७८ २१ (ठाणांग, सुत्र ६४८) १२७ १८ (ठाणांग, सूत्र ६१३) १२६ १६ ये तीनों प्रमाण पृष्ठ २०१ की ७ वीं पंक्ति में नहीं होने चाहिए । इन्हें पृष्ठ १६६ के अन्त में पढ़ना चाहिए। २०१८ २१८... १८ (प्रवचनसारोद्धारदार १०१)२५१ ३ तत्वों कर (प्रवचनसारोद्धार) कर कर वेचावच्च देस्वते ६१८ व्यय उद्दशो वेयावच देखते ३६० १५ व्यय उद्देशा ४११
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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