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________________ ( १६२ ) भी जैन नाटकीय रामायण । मोय घायल है किया तेरी नोखी चालों ने ॥ मोय प्रेमी बना भरमायारे ॥ मोय मोहनी - अधकटी मूंछ तुम्हारी है गजब का चेहरा | जब से कालिज में गई मोह लिया मन मेरा ॥ मोय रूप तेरा यह भाया रे ॥ मोय • ॥ दोनों साथ ( एक दूसरे से ) तुम ही ने पहले मुझे प्रेम में फंसाया है । झूठ बोलो हो तुम्हीने तो ये सिखाया है । खर जाने दो ये झूठी मायारे । प्रेमियों के निकट प्रेम आया रे || " है न १ ० ( दोनों भाग जाते है ) क प्रथम - दृश्य तृतिय 11 ७ ( ब्रह्मचारी और साधू आते हैं । ब्र० - कहिये साधुजी आपकी सब समझ में आ रहा " साधु --- जब दशरथजी का स्वयंवर में दूसरे राजाओं से युद्ध हुआ तो उसके पश्चात क्या हुआ । ? ब्र० - सुनिये जिस समय स्वयंबर में युद्ध छिड़ा उस समय
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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