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________________ तृतिय भाग । (१५९) सेठजी-मुझे भी आज कल कुछ छोरी के बुरे ढंग दीख रहे हैं। हे ईश्वर मेरी छोरी को सदा सुबुद्धि हो । छोरी-(प्राकर ) फादर आप सदा मेरे लिये ईश्वर से भला चाहते हैं । आपकी बराबर इस दुनिया में मेरा दुसरा हित चिन्तक नहीं है। सेठजी-कहो वेटी मोहनी श्राज कल तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है। मोहिनी-पिताजी मेरी पढ़ाई आज कल बहुत अच्छी चल रही है। कालेज का प्रिसिंपन्न और सब प्रोफेसर मुझे बहुत चाहते हैं । मैंने एक समय सभा में कालेज छोड़ने का प्रस्ताब रखा था इस पर वो लोग रंज करने लगे और मुझे कालेज में रहने के लिये सबने विवश किया | आज मुझे फिर एक मीटिंग में जाना है। मैं आपको इनफार्म करने आई हूं ताकि मेरे जाने पर आप मुझे ढूंढते न फिरें। सेठजी---इनफार्म किसे कहते हैं। ___ मोहिनी-(हँसकर ) पिताजी आप बहुत भोले हैं। कहिये तो मैं आपको एक घंटा इंगलिश पढ़ा दिया करूं । इनफार्म कहते हैं इत्तला करना । सेठजी--मोहिनी ! यदि तु बजाय इत्तिला के भाज्ञा शब्द कहती तो क्या हज था ?
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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