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________________ पंचम भाग ( ३४१) दशरथ राज्य करते थे। उनकी चार रानियों से राम, लक्ष्मण भरत, शत्रुधन ये चार पुत्र उत्पन्न हुवे । राम ने धनुष चढ़ा कर सीता को ब्याहा । इस के पश्चात राजा दशरथ के वैराग्य के समय केकई ने भरंथ को राज्य दिलाया । राम लक्ष्मण और सीता वन को चले गये । वहां पर रावण सीता को हर कर ले गया । लक्ष्मण ने अनेक विद्याधरों और भूमि गोचरियों को सहायता से रावण को मारा और सीताको वापिस अयोध्या लाये और सिंहासन पर बैठे । भरथजी ने सन्यास धारण किया और मुक्ती प्राय के । लोकापवाद के भय से राम, जिन्हें बलभद्र पद्म पुरुषोत्तम आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है । उन्होंने सीता को बन में छुड़वा दिया । लक्ष्मण ने जिन्हें नारायण वायुदेव आदि नामों से पुकारते हैं बहुत मना किया किन्तु न माने । हाय वेचारी सीता न मालूम अब कहां फिरती होगी । लवण-नारदजी ! तब तो राम ने बहुत बुरा किया । बेचारी निर्दोष भवला को लोकापवाद के भय से घर से बाहर निकाल दिया । मैं अवश्य अयोध्या को अपनी सेना लेकर जाऊंगा । और उन्होंने जो ये न्याय विरुद्ध काम किया है । इस का उन्हें दण्ड दूंगा। नारद-नहीं पुत्र ! ऐसा न करना । वो बलभद्र नारायण हैं। उनके भागे कोई नहीं जीत सकता ।
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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