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________________ जैनगौरव-स्मतियां - . . ... हैं । स्थानीय जैन समाज में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है। आपके अंनंतलालजी रोशनलालजी एवं जगदीशप्रसादजी नामक तीन पुत्र हैं जिनकी आयु क्रमश:३४, २० एवं १६ वर्ष है। आप तीनों बन्धु उत्साही एवं मिलनसार नवयुवक है। श्री अंनंतलालजी व्यवसाय में सहयोग देते हैं । बम्बई में "रोशनलाल जगदीश प्रसाद" फर्म कालवा देवी रोड़ पर अवस्थित है । यहाँ पर वस्त्र व्यवसाय वृहद रुप में होता है। .. . ... .... ............. ... .... • संयुक्त प्रान्तःचुत मान्स . .. .. .:::. :. . . * सेठ अचलसिंहजी बोहरा, आगरा बचपन से ही आप मेधावी रहे हैं। प्रारम्म से आपकी प्रवृत्ति देश एवं समाज सेवा की ओर थी । १९१६ में लखनऊ के कॉंग्रेस अधिवेशन में सम्मिलित हुए एवं सदस्यता स्वीकार की । सन् १९१८ में .. ... "आगरा व्यापार समिति" का पुनः संग : ठन कर सभापतित्व और मन्त्रित्व से नव चेतना प्रदान का। इस प्रकार से । समाज एवं राष्ट्र सेवा काय में अधिका। धिक योग देने लगे । यथा १६१६ के : रोलटएक्ट का बायकाट, तिलक, स्वराज्य " फएड के लिए २५ सहर रुपयों का एक... त्रित करना इत्यादि । १९२१ में नगर ' कॉग्रेस के सभापति बने एवं म्युनिसिपल बोर्ड के कॉग्रेस की ओर से मेम्बर व ' सीनियर वाइस चैयरमेन बने । १६२२ में आप स्वराज्य पार्टी की ओर से प्रान्तीय ... लेजिस्लेटिव कौन्सिल के सदस्य बने । .. : नमक सत्याग्रह में ६ मास की सजा एवं . • ५००) जुर्माना हुआ । १६३० से ४८ .................. नगर एवं जिला कॉग्रेस कमेटी के सभापति । १६३५ में आपने एक लाख चार सौ रुपये सार्वजनिक कार्यों के लिए अचल ट्रस्ट की स्थापना की एवं ३६ में प्रान्तीय असेम्बली के मेम्बर बने । ४२ के भारत छोडो आन्दोलन में गिरफ्तात हुए एवं. २७ मास तक नजर बन्द रहे । महात्मा गाँधी स्मारक राष्ट्रीय निधि की आगरा शाखा के प्रधान मंत्री की हैसियत. से. ४४ लाख रुपये एकत्रित किये। १६४८ में आगरा विश्वविद्यालय को सीनेट के सदस्य निर्वाचित हुए। आपकी धर्मपत्लि श्री भगवती देवी जैन को स्मृप्ति में रा लाखसे प्रागरा छावनी में कन्या विद्यालय की स्थापना Wala
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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