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________________ जैन - गौरव -स्मृतियाँ अपनी अनुपम व्यापारिक प्रतिभा, साहसिकता और कर्मठता से लाखों का उपार्जन कर व्यापारिक एवं सामाजिक जगत् में नामाङ्कित हुए। आपने धार्मिक एवं सामाजिक सभा संस्थाओं की सेवा कर अच्छा यश कमाया । ६१ वर्ष की आयु में ता० १६-१-४३ को आपका स्वर्गवास हो गया । मृत्यु समय अपने करीब ५००००) धर्म पुन्य में प्रदान किये । आपके नथमलजी पुखराजजी, मोहनलालजी और चन्दन मल जी नामक पुत्र हैं । ६८६ श्री सेठ नथमलजी ने भी सार्वजनिक लोकोपकारी प्रवृतियों में दिलचस्पी प्रकट कर अपने प्रत्य पिता श्री की कीर्ति में चार चांद लगा दिये । आप कर्मठ कांग्रेसी है । स्थानीय म्युनिसिपल के कई बार कमिश्नर रह चुके हैं । जैन गुरुकुल व्यावर के ५६ अधिवेनन के आप स्वागताध्यक्ष थे । सभा संस्थाओं को आप का पूर्ण सहयोग रहता है। आपके सहोदरों का आपको पूर्ण सहयोग एवं आदर्श प्रेम है । आप सब सज्जन उत्साही, मिलन सार एवं समाज प्रेमी है । दी सागरमल स्पीनिङ्ग एन्ड विविंग मिल की स्थापना कर अपनी व्यापारिक प्रतिभा का परिचय दिया । इन्दौर, कानपुर, चालीस गांव आदि कई स्थानों पर आपकी फर्म है। खान देश की प्रतिष्ठित फर्मों में आपकी फर्म अपना महत्वपूर्ण "स्थान रखती है । ★ श्री सेठ प्रतापमन्तजी बुधमलजी लूकड, जलगाँव सिलाड़ी ( मारवाड़ ) निवासी सेठ वादरमलजी के द्वितीय पुत्र श्री सेठ जुगराजजी लूंकड़ श्री पुखराजजी लकड़
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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