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________________ ":" ..... .....riyar... 0-4'"'" ... ... .. ya... e rs . . जैन-गौरव-स्मृतियाँ HindiARAKHARAPH .. . . के कर्मठ कार्यकत्ता के रूप में आप प्रसिद्ध हैं। भारत विभा‘जन के समय चुरु में मुसलमानों के बहिष्कार के वातावरण : को उत्तेजित न होने देकर शांति .... मय बनाने में आपका प्रमुख हाथ । रहा है। कई वर्षों तक म्यूनिसिपल बोई चुम के मेम्बर, मजहबी खैराती और धर्माद कमेटी की, . प्रवन्ध कारिणी कमेटी के सेम्बरा हाईकोर्ट बीकानेर के जुरर सन् : १६२८-२६ में बीकानेर स्टेट लेजिसलेटिव असेम्बली के, मेम्बर रहे हैं। आपका 'सुराण पुस्तकालय' जनता की अच्छी.. सेवा कर रहा है। '' .. " .ऋषिः कुल. ब्रह्मचर्याश्रम के मंत्री और सर्वहित कारी सभा" के सभापति - म्प में आप राजम.प एवं जन सेवकर रहे हैं । सुपुत्र भंवरहरिसिंहजी एक होन: हार एवं प्रतिभा सापन्न थे, परन्तु अल्पावस्था ..। में स्वर्गवास हो गया । द्वितीय पुत्र निर्मल कुमार सिहजी का जन्म सं० १६६३ का है ये मुशीत एवं होन हार है। .. । .: . . .... ... .. ... .. . : 40 . कु. निमल कुम! रसिंहजी
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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