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________________ जैन-गौरव-स्मृतियाँ ... : न : MES - सेठ शुभकरणजी सुराणा द्वारा संचालित सुराणा पुस्तकालय, चुम LanthaLA NA " . .L. ....... - सेठ हनूतनमलजी सुराणा, चुरु । - श्वे० तेरह पंथी जैनलमाज के आगेवान कर्मठ कार्यकर्ताओं में आपका प्रमुख स्थान है। आपके पूर्वजों का इतिहास भी बड़ा गौरव पूर्ण रहा है। बीकानेर राज्य के प्रमुख श्रीमन्तों में आपकी गणना होती है । __कलकत्ता व चुन में आपकी कई अालीशान बड़ी २ रमारतें है । एक बड़ श्रीमन्त होने के साथ २ बड़े उदार चत्ता एवं सुविचारवान भी हैं । साहित्य के प्रति आपका बड़ा अनुराग है । साहित्य प्रकाशन हेतु आदर्श संघ की स्थापना करवा उसके लिये अपनी नीजि पृजी से कलकत्ते में रैफिल पार्ट प्रेस के नाम से ३१ बड़तल्ला स्ट्रीट पर एक प्रेस भी करवा दिया है। कलकत्ता में "मुन्नालाल नूतमल सु. .णा" के नामसं १६५ हरिसन रोड' पर आपकी पेढ़ी है। . ( विशेष विवरण कलकत्ता बंगाल विभाग में दिया जा सकेगा)
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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