SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 580
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६१६ : + १ ***++++++++ Ra में आप बड़े ही उत्साह से सक्रिय भाग लेते हैं । आपकी सामाजिक सेवा तथा उद्दार प्रिया प्राय है "मेवराज रावतमल डांगा" नामक आपकी फर्म स्थानीय फर्मों में नामाङ्कित हैं । सेठ ईनदासजी डागा श्री सेठ लक्ष्मीचन्दजी पींचा - गंगाशहर (बीकानेर) जैन- गौरव - स्मृतियाँ सेठ मंत्रराजजी रावतमलजी डागा आपका जन्म सं० १६६१ । आप कुशल व्यवसायी उदार चेता एवं मिलनसार सज्जन हैं । डिपटी गंज दिल्ली में नं० २२ ए. पर “लक्ष्मी चन्द फूस राज" के नाम से विसायत खाने का व्यवसाय होता है। फर्म की अच्छी प्रतिष्ठा है । | आपके श्री फूसराजजी धनराजजी तथा शिखरचन्दजी नामक तीन पुत्र एवं भिक्खी चाई नामक एक पुत्री है। आपके श्री मुकन चन्दजी, श्री महेश दासजी, तथा श्री वालचन्द्रजी ये तीन भाई हैं जो अपना व्यवसाय वडी ही उत्तम रीति से कर रहे हैं। आप बन्धुओं का प्रेम अच्छा आदर्श है । तथा आप लोग धार्मिक तथा जातीय कार्यों में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy