SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 579
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-गौरव-स्मृतियों आप अपने पीछे श्री तोलारामजी, इन्द्रचन्दजी, रूपचंदजी, प्रेमसुखजी, . भंवरलालजी, तथा जेठमलजी, नामक ६ पुत्र छोड़ गर है । आपके पुत्र भी आप ही के अनुरूप धर्म प्रेमी व समाज प्रेमी है। ___ श्री इन्द्रचन्दजी एक विचार शील, उदारदिल, धर्म निष्ट सज्जन है। गंगाशहर में यापकी अच्छी प्रतिष्ठा है । धार्मिक कार्यों में खुले दिल से सहयोग देते हैं। ★सेंठ चतुर्भुजी हनुमानमलजी बोथरा, गंगाशहर (बीकानेर) .. . .:". .. श्री सेठ जोरावरमलर्जी के पाँच पुत्रों में से लघु पुत्र श्री चतुभुजजी का जन्म सं० १९३३ को हुआ। • ६६२ में "अगरचन्द चतुभुज" के नाम से फर्म स्थापित कर जूट एवं वस्त्र का वृद्दद् व्या. पार प्रारम्भ किया । अपने व्यापारिक कैशल से उन्नति करते २ अपनी निजी फर्म परतुरभुज हनुमानमल" के नाम से १६ बन फिल्डस लेन कलकत्ता में स्वतंत्र व्यवसाय प्रारम्भ किया । आप सच्चे एवं स्वतंत्र विचारों केधर्मनिष्ट मन्जन थे । संवन् २००६ अपाद कृष्णा २ को वर्ष की आयु में देहावसान हुया । आप अपने पंछ एक पुत्री श्रीरामकुवारी! जिनाने सं. १६८८ में दीना प्रदगा करती तथा हनुमानगल जी एवं तोलारामजी नामक दो पुत्र .. एवं ५ पान श्री जसराजी पुनम चन्दनी, किशननन्दजी, रिखकर जी नया कन्हैयालालजी छोड़गये हैं। नाजी का ... समान में व्यवसाय की देखरेख श्रीमती माने गए भी अपने पिता सुन्न धर्मनिष्ट एवं लोकोपकारी वन मंत्रा में मार से भागने ." मठ ईश्वरचन्दजी डागा-मकासी हाट (बंगाल) श्रीगंगाशहर (मांकानेर श्रापका मूलनिवास पुग्नु मापार अफसी are (अंगाला ) में होना अाप यहाँ के प्रसिद्ध व्यापारी हैं। धार्मिक कार्यों
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy